गुरुवार, 2 जुलाई 2015

सुदेश भोंसले को मुख्य रूप से अमिताभ बच्चन के गानो के लिये जाना जाता है,पर शायद कम लोग जानते हैं की सुदेश उत्तम अनुकरण(मिमिक्री )तथा  डबिंग कलाकार और पेंटर  हैं 
                                                       इन्होने कई सालों तक संजीव कुमार और अनिल कपुर के लिये मिमिक्री कलाकार के तौर पर डबिन्ग भी की । इनकी माँ सुमन भोंसले गायिका और नानी दुर्गाबाई शिरोडकर (आगरा घराने की )प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका थीं तथा इनके पिता एन आर भोंसले फिल्मो के पोस्टर और पोर्ट्रेट बनाने के लिए पेंटर के रूप में मशहूर  थे, तथा राजश्री प्रोडक्शंस और चेन्नई से बी .एन. रेड्डी द्वारा निर्मित फिल्मों के पोस्टर बनाने के कार्य से जुड़े रहे, पिता की तरह ही सुदेश भी इन कलाओं में पारंगत हो गए थे और पिता के साथ ही फ़िल्मी पोस्टर बनाया करते थे, 1974  में आई राजेश खन्ना की "प्रेमनगर"  की पोस्टर इन्होने पहली बार बनाये  और उसके बाद 1982 तक जूली,स्वर्ग-नरक, स्वयंवर ,श्रीमान-श्रीमती ,निशाना जैसे हिंदी और मराठी फिल्मों के लिए पोस्टर बनाते रहे ,हालाँकि परिवार में संगीत और पेंटिंग का भरपूर माहौल रहने के वावजूद इनके पिता को यहीं लगता था की सुदेश भी आगे चलकर उनकी हीं तरह पेंटिंग व्यवसाय को ही आगे बढ़ाएंगे 
                                      कॉलेज के दिनों में होनेवाले आयोजनों में हीं ये कभी- कभी कोई गीत गा  लेते थे और फ़िल्मी कलाकारों की नक़ल करते थे तब इन्होने नहीं सोचा था की ये गायक बनेंगे ,एक बार इसी तरह इनका नाम मंच से गाने के लिए अचानक पुकार दिया गया ये तो घबरा हीं गए खैर इन्होने गाया और अमिताभ बच्चन की नक़ल भी की ,उस समय अमिताभ टॉप पर थे,इसके बाद तो ये मित्रों  में मिमिक्री के लिए प्रसिद्ध हो गए,मित्रों के कहने पर हीं इन्होने अमिताभ की फिल्मों के डायलॉग याद किये और उनकी नक़ल करनी शुरू की ,अब इन्हे भी आनद आने लगा फिर इन्होने संजीव कुमार,अनिल कपूर,विनोद खन्ना,असरानी,शक्ति कपूर ,गायक हेमंत कुमार ,अदनान सामी,ओम प्रकाश,शोले के ठाकुर, जॉनी लीवर आदि की भी खूब मिमिक्री की 
                                                       बाद में आर्केस्ट्रा समूह से जुड़ने के बाद गाने और नक़ल करने का सिलसिला चलता रहा ,फिर ज़लज़ला 1988  में अनुराधा पौडवाल  के साथ एक होली गीतगाने का मौका मिला,शशि कपूर द्वारा निर्देशित और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित (1989) "अजूबा " में उन्होंने अमिताभ के लिए हीं गाया , हालाँकि उस गाने को पहले अमिताभ की आवाज में रिकॉर्ड किया गया था फिर बाद में इनसे गवाया गाया गाने को सुनकर जया बच्चन तक को विश्वास  नहीं हो रहा था की इसे अमिताभ ने नहीं गया है ।  अमिताभ बच्चन अभिनित फिल्म- हम (1990) के गाने 'जुम्मा चुम्मा दे दे' ने इन्हे बुलंदी पर खड़ा कर दिया ,यही वो गाना है जिसे सुनकर अमिताभ ने खुद कहा -अब मैं नहीं गाऊँगा, मेरे सारे गाने सुदेश गायेगा                                                      

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

  • RSS
  • Delicious
  • Digg
  • Facebook
  • Twitter
  • Linkedin
  • Youtube