शुक्रवार, 2 मार्च 2018

                                   *विपीन सचदेवा*  

गॉड गिफ्टेड आवाज के धनी सचदेवा को आठ वर्ष की उम्र से हीं गाने में रुचि जग गयी थी,उन्होंने धीरे-धीरे पेशेवर गायन की कला को अपने गुरु, द लीजेंडरी मोहम्मद के गीतों को सुनकर विकसित किया। तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री मोरारजी देसाई के लिए गायन प्रस्तुत करना इनके गायिकी की बडी उपलब्धि रही, बाद में 1986 में आई " रफी की याद में" अल्बम से गुलशन कुमार काफी प्रभावित हुए और अपनी फिल्मों और अलबमों के लिए साइन कर लिया। सावन कुमार की "सनम बेवफा " से पार्श्व गायक के रूप में अपनी शुरुआत की, जिसमें उन्होंने अपना पहला गाना "मुझे अल्लाह की कसम" गायी और वॉलीवुड में छा गए।
" मिलते मिलते हसी वादियों में,  ओ हरे दुपट्टे वाली, बे इरादा नजर मिल गयी तो, याराना यार का, तूने जमाना ये क्या कर दिया, हरे राम हरे कृष्णा जैसे हिट गानें गानेवाले विपिन सचदेवा रफ़ी नाइट्स, माता का जागरण, साईं संध्या, भजन संध्या , विदेश में शो आदि में व्यस्त होते चले गए, और वॉलीवुड से दूर। 
आश्चर्य तो इस बात का है कि इंटरनेट पर भी इनके बारे में जसपाल सिंह की तरह कुछ खाश नही मिलता।


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2 टिप्‍पणियां:

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