मोहम्मद रफी ने अपने बच्चों को संगीत की तरफ रुचि दिखाने के लिए कभी कोई दवाब नहीं दिया, उनका मानना था की वे अपनी इक्छानुसार कोई भी प्रोफेशन चुनने
को स्वतंत्र हैं. साथ ही वे यह भी चाहते थे की उनकी संतान अपने हुनर और काबिलियत की बदौलत आगे बढ़ें, शायद इसी वजह से अपनी ऊंची हैसियत का फायदा उन्होने कभी अपनी
संतानों के लिए नहीं उठाया न उठाने दिया ।
शाहिद रफी को छोडकर
उनके बाकी के तीन बेटे लंदन मे बस गए जहां सईद और खालिद ने हवाई ढुलाई का व्यवसाय अपना लिया वहीं हामिद
ने लॉन्ड्री का काम शुरू कर लिया। हालांकि इन तीनों की कम उम्र में ही पिता
की तरह दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गयी । शाहिद रफी जो अपने भाइयों मे सबसे छोटे
हैं उन्होने अपने पिता की तरह गायक बनने के लिए थोड़ी रुचि दिखाई थी, कई समारोहों में उन्हे गाते हुये भी देखा गया पर पार्श्व गायन
के क्षेत्र में उन्हे कोई मुकाम नहीं हासिल हुआ। उन्होने गायन की तरफ बहुत ज्यादा कोशिश भी नहीं की और कपड़े के व्यवसाय
मे ही सारा ध्यान लगा दिया ।
यहाँ बता दें की रफी साहब की बड़ी बेटी प्रवीण और छोटी बेटी आस्मिन गृहणी हैं जबकि मँझली बेटी नसरीन अपने माँ (बिलकीस बेगम ) के साथ जरी-कसीदाकारी का काम संभालती हैं जो की रफी साहब के पैतृक मकान मुंबई स्थित रफी मेंशन मे ही हैं ।
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