शनिवार, 15 मई 2021

 बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड में अपने दमदार आवाज और जबरदस्त एक्टिंग के लिए प्रसिद्ध चरित्र कलाकार ओम पूरी भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके दमदार अभिनय के लिए उन्हे आज भी याद किया जाता है। ओम पूरी अपनी फिल्मों के अलावा निजी जीवन और विवादित बयानों के चलते भी चर्चा में रहे।

ओम पुरी की दूसरी पत्नी नंदिता पुरी ने उनकी आत्मकथा- ‘असाधारण नायक ओमपुरी’ में उनकी निजी जीवन के कुछ खुलासे किए – “जब ओम पुरी 14 साल के थे तो उनके संबंध 55 साल की एक नौकरानी से थे। आत्मकथा में नंदिता पूरी ने यह भी लिखा कि जब वो 37 साल के थे तब उनके संबंध एक कम उम्र की नौकरानी के साथ बने।

यही सवाल जब ओम पूरी से एक शो में पूछा गया तो उन्होने कहा था- 'आप मुझे एक बात बताइए, इसमें 14 साल के बच्चे का कुसूर है या 55 साल की औरत का?' साथ ही उन्होने कम उम्र की लड़की से संबंध वाले सवाल का जवाब देते हुये यह भी कहा था की - 'मतलब जो 5 साल छोटी है वो कम उम्र की हो गई। 'वैसे भी 'वो उनके लिए कोई नौकरानी नहीं थी । ओमपुरी ने आगे कहा था कि 'उनके पिताजी 80 साल के थे तो वो उनकी देखरेख करती थीं। वो शूटिंग के लिए अक्सर कई-कई दिन बाहर रहते थे।' तब वो सबकी देखभाल करती थीं और मेरे उनके साथ तालुकात हुए। वो उस वक्त शादीशुदा भी नहीं थे।' ऐसे में अभिनेता का मानना था की इसमे किस बात की एडल्ट्री हुई। 37 साल के आदमी की कुछ जरूरत नहीं होती क्या? वो एक तलाकशुदा औरत थीं। हालांकि उन्होने इसके लिए जीवन भर प्रायश्चित किया ।

ओम अपनी पत्नी के आपतिजनक लेखनी से काफी आहत हो गए और कहा कि "मेरी पत्नी को मेरे जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण और पवित्र हिस्सा ऐसे साझा नहीं करना चाहिए था मैंने अपनी पत्नी के साथ इन अंधेरे रहस्यों को साझा किया था, क्योंकि सभी पति ऐसा करते हैं। अगर उन्हें साझा करना ही था तो कम से कम उन अनुभवों के बारे में सम्मान बनाए रखना चाहिए था, जो कि मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। क्या वह भूल गई है कि मैं समाज में खड़ा हू और मैंने आज जो कुछ हासिल किया है उसे पूरा करने के लिए मैंने कड़ी मेहनत की है?

इस बात पर पति-पत्नी में ऐसा विवाद बढ़ा कि दोनों ने एक दूसरे से अलग हो जाने का फैसला किया । उस दौरान नंदिता ने ओमपुरी पर घरेलू हिंसा के आरोप भी लगाए थे।

मंगलवार, 11 मई 2021

 जीपीएस ड्राइवर इनस्टॉल हो और डिवाइस भी ठीक से कनेक्ट हो उसके बाद भी यदि आधार UCL सॉफ्टवेयर में GPS डेटा नहीं आ रही हो तो  


# जीपीएस डिवाइस को थोड़ी खुली या ऊँची जगह पर रखें ,

# GPS Baud rate- 9600 रखें ,

# अब PC Services में जाकर Aadhaar Multiplatform Device Manager और QSSITV service को रीस्टार्ट कर दें , और  PC को बंद कर दें ,

# थोड़ी देर बाद PC खोलें, UCL Client में लॉगिन करें और Start GPS करें , विवरण आ जायेगा।  


शनिवार, 8 मई 2021

 Operator sync failed due to client error please try again,


अगर आपको यह error Aadhaar UCL software में OTP डालने और Iris  प्रिंट देने के बाद show हो रहा है तो-


पुराने आइरिस ड्राइवर को Uninstall करें, फिर नए ड्राइवर को डाउनलोड कर इनस्टॉल करें, आपकी समस्या समाप्त हो जाएगी.

https://download.mantratecapp.com/StaticDownload/MantraRDServiceIris_1.0.1.exe

https://download.mantratecapp.com/StaticDownload/MIS100V2Driver.exe




शुक्रवार, 7 मई 2021

बात फिल्मफेयर अवॉर्ड -1993 की है, जब सर्वेश्रेष्ठ गीतकार के चयन के लिए गीतकार मजरूह सुल्तापुरी और समीर को नामांकित किया गया था। फिल्म -जो जीता वहीं सिकंदर के लिए मजरूह साहब का लिखा गाना पहला नशा पहला खुमार जहां लोगों में नशा घोले हुए था तो दूसरी तरफ फिल्म दीवाना के लिए समीर के लिखे गीत तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार करते है तारीफ के नित नए आयाम गढ़ रहा था। दोनों ही फिल्में 1992 में रिलीज हुई थीं।

जब श्रेष्ठ गीतकार के नाम कि घोषणा हो रही थी तो उम्र का प्रभाव कहें या अनुभव का आत्मविश्वास मजरूह साहब को ऐसा लगा कि उनके नाम कि घोषणा हो गई और वे पुरस्कार लेने मंच तक पहुंच गए तभी इस पुरस्कार के लिए समीर के नाम कि घोषणा हुई..समीर की तो हालात खराब हो गई, उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें... जिनको वे अपना गुरु मानते हैं और पिता समान इज्जत करते हैं..उनके ही गाने को हराकर आज वे श्रेष्ठ गीतकार का ये सम्मान कैसे ले पाएंगे, जिसके लिए भूलवश मजरूह साहब मंच पर आ गए हैं। खैर... वे मंच पर गए और एक निवेदन किया, उन्होंने कहा कि मेरी बचपन से ही दो ख्वाहिश थी एक कि जब भी पहला अवॉर्ड मिलेगा अपने पिता के हांथ से लूंगा जो कि फिल्म आशिकी से पूरी भी हो गई और दूसरा अवॉर्ड जब कभी मिलेगा आनंद बक्शी और मजरूह सुल्तानपुरी से लूंगा जिन्हें मैं अपना गुरु मानता हूं और आज वह सपना भी पूरा हो गया। मैं चाहता हूं कि यह सम्मान मुझे मजरूह साहब के हाथों से मिले।

उसी रात मजरूह साहब ने समीर को डिनर पर बुलाया और कहा कि आज मेरी इज्जत बचाकर तुमने साबित कर दिया कि तुम अनजान के बेटे हो, मेरी दुयाएं हमेशा तेरे साथ है।

सबसे अधिक गाने लिखने का गिनीज विश्व कीर्तिमान भी समीर के नाम दर्ज है। इनके पिता अनजान भी प्रसिद्ध गीतकार रहे थे।

मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

AadhaarEnrolmentClient-full-win-3.3.4.2.96-1-windows-32-WL

client-ota-3.3.4.2.103-1-windows-32

UCL क्लाइंट ओपन नहीं हो रहा हो,  ओपन करने की कोशिश करने पर कुछ देर प्रोसेस करने के बाद क्लाइंट कट जा रही हो तो -  C:\UID Authority of India\Aadhaar Enrolment Client\seed

Seed Folder में जाकर client-ota-3.3.4.2.96-1-windows-32  या client-ota-3.3.4.2.103-1-windows-32    फाइल को एक्सट्रेक्ट करें, एक्सट्रेक्ट की गयी फाइल को ओपन करें और उसमे से सभी फाइल को कॉपी करे फिर बैक आकर  UID Authority of India  में पेस्ट कर दें . 


नोट- इन सभी प्रक्रिया को करने से पहले सर्विस में जाकर 


स्टॉप कर दें और प्रक्रिया के बाद उन्हें फिर से रीस्टार्ट कर दें . 
फिर सिस्टम रीस्टार्ट कर दें , 

डेट और टाइम भी प्रॉपर सेट हो , इंटरनेट कनेक्टिविटी भी स्टेटिक ip वाली जोड़ के रखें 


Failed to Sync operator Details due to network issue, please check your internet connection and try again Solved 

इस समस्या के समाधान के लिए दिए गए लिंक से प्रॉक्सी फाइल को डाउनलोड कर C:\UID Authority of India\Aadhaar Enrolment Client\conf फोल्डर में पेस्ट करके दुबारा प्रयास करें



 

proxy.properties डाउनलोड लिंक- https://drive.google.com/file/d/1t2zlx3v5BP5UEjrE3Sx6VQIBVPMPnqx3/view?usp=sharing



सोमवार, 29 मार्च 2021

94fbr
किसी भी सॉफ्टवेयर की serial key के लिए अगर गूगल पर आपको काफी खोजबीन करनी पड़ती है तो बस इस कीवर्ड का प्रयोग करके बड़ी आसानी से किसी भी सॉफ्टवेयर का सीरियल की सर्च कर सकते हैं-
जिस किसी भी सॉफ्टवेयर की serial key आपको मालूम करने हो गूगल पर उसे टाइप करने के बाद लास्ट में 94fbr टाइप करें, परिणाम आपके सामने होंगे। (वैसे तो सभी पॉपुलर सॉफ्टवेयर के सीरियल की 94 एफबीआर पर पहले से ही मौजूद है) वेबसाइट लिंक नीचे दी गई है
मान लिया आपको Filmora किस सीरियल key या क्रैक डाउनलोड करनी है तो आप गूगल में टाइप करें -filmora 94fbr उसी तरह अगर आपको विंडोज 10 की सीरियल की सर्च करनी है तो आप गूगल में टाइप करें- win 10 94fbr

शनिवार, 13 मार्च 2021

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

ARM COMMERCIAL (ARM KENDRA) SBI_Morpho_RDS

Posted by zindgi.com | 1:28 am Categories:

शनिवार, 30 जनवरी 2021

ARM KENDRA से सीएसपी लेने हेतु - 

csp क्या है - ग्राहक सेवा केंद्र (CSP) मिनी बैंक जैसा होता है। जहां  बैंक से जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इन सुविधाओं में अकाउंट ओपन करना , पैसों की जमा और निकासी करना , पैसे ट्रांसफर करना , RD , FD करना , इंश्योरेंस करना जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। और इन्हीं  सुविधाओं के आधार पर कमीशन का निर्धारण होता है , जिनमे कुछ हिस्सा कंपनी रख लेती है । 

 मुख्य  बातें - ग्राहक सेवा केंद्र  द्वारा एक व्यक्ति महीने में आसानी से 25000 – 30000 की कमाई कर सकता है। यहां पर बैंकों द्वारा बैंक मित्र को प्रत्येक काम के लिए अलग-अलग कमीशन प्रदान किया जाता है। और ये कमीशन कंपनी वाइज़ अलग-अलग होती हैं। क्योंकि बैंक सीधे Customer Service Point नहीं देकर जिस कंपनी से अग्रीमेंट हुआ होता है उनके माध्यम से देती हैं । 

ग्राहक सेवा केंद्र कैसे लें -
ग्राहक सेवा केंद्र प्रोवाइड कराने वाली प्रमुख कंपनियों में स्थानीय तौर पर सुचारु रूप से  कार्यरत कंपनी ARM KENDRA (Arm Commercial Services Pvt Ltd) से संपर्क करके ग्राहक सेवा केंद्र खोल सकते हैं। जिसमे कंपनी लोकेशन की उपलब्धता के आधार पर आपसे सभी जरूरी डाक्यूमेंट्स लेकर बैंक को अपने माध्यम से पर्पोजल देती हैं ,फिर बैंक अपना recommendation RBO को भेजता है, फिर वहाँ से Zonal और अंत मे LHO से वेरिफ़ाई होकर ID पासवर्ड जेनेरेट होता है। (किसी प्रकार की त्रुटि होने पर आवेदन रिजैक्ट भी होता है ) id पासवर्ड आ जाने पर कुछ दिनों मे लिंक ब्रांच के सिस्टम पर दिखाई देने लगती है और इसकी सूचना ज़ोन और आरबीओ के अलावे लिंक ब्रांच में भेज दी जाती हैं , तब आपका सिस्टम कोन्फ़िगर और सॉफ्टवेर इन्स्टालेशन करके काम शुरू कराया जाता है । 

इन सब में 3-4 महीने या अधिक समय भी लगता है, शहरी क्षेत्रों में अपेक्षाकृत थोड़ा कम समय लगता है ।   

सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स - आवेदन फॉर्म , 2पासपोर्ट फोटो, आचरण प्रमाण पत्र ,नोटरी  एफेडेविट, अग्रीमेंट स्टाम्प  पेपर , CIBIL, आधार कार्ड, पैन कार्ड, इंटरमीडिएट सर्टिफिकेट, बैंक पासबूक, Two References और उनके आधार, पैन और बैंक पासबूक ।  

 Arm Commercial services private limited   financial inclusion क्षेत्र में अग्रणी कंपनी है. अधिक जानकारी के लिए official website विजिट करें.
कोई अन्य जानकारी के लिए ईमेल: raj@armkendra.com 

                                    
नोट- कई कंपनियां हैं जो ग्राहक सेवा केंद्र खोलने की सुविधा  देती हैं , लेकिन आपको ध्यान रखना होगा कि  बहुत सी फ्रॉड कंपनियां भी  ऑनलाइन  फेक वैबसाइट बनाकर रजिस्ट्रेशन फी और सेक्यूरिटी डिपॉज़िट के नाम काफी पैसा लूट लेती हैं । इसलिए आप जिस कंपनी से भी  सीएसपी लेना चाहते हैं। उसके बारे में पूरी जांच पड़ताल करके ही अपना काम शुरू करें।  

  

गुरुवार, 21 जनवरी 2021

 

सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन” की बतौर नायक फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म -”सात हिन्दुस्तानी” से हुई, मगर इस फिल्म ने अपने साथ दर्जन भर और फ्लॉप फिल्में जोड़ लीं । अमिताभ पर फ्लॉप हीरो का तमगा लग गया और उन्होने यह घोषणा कर दी की अगर अगली फिल्म फ्लॉप हुई तो वे फिल्मों से सन्यास ले लेंगे । संयोग कहें या किस्मत अगली “ज़ंजीर” फिल्म हिट साबित हुई और इस फिल्म ने अमिताभ को बचा लिया । फिर डॉन, दीवार, और शोले जैसी कई हिट फिल्में आईं ।

उसके बाद उन्होने 1995 में 'एबीसीएल(अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड)' नाम की फिल्म प्रोडक्शन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की शुरुआत की। कंपनी के फेल होने के बाद अमित जी को काफी नुकसान हुआ और इनपर लगभग 90 करोड़ का कर्जा हो गया । ऐसा माना जाता है की अमिताभ ने जिन लोगों पर विश्वास करके कंपनी के मैनेजमेंट का भार सौंपा था उन्होने ही कंपनी को डुबो दिया । इस दौरान अदालत ने अमिताभ पर 55 केस भी ठोक दिये। अब संपति के नाम पर इनके पास केवल एक घर बच गया था जिसपर पहले से ही "कुर्की "का आदेश था । आर्थिक रूप बेहद खराब स्थिति के चलते अमिताभ डिप्रेशन के शिकार हो गए । इसी उलझन के चलते उन्होंने कोई भी छोटी-बड़ी फिल्म के साथ छोटे पर्दे पर भी काम करना शुरू कर दिया। तब छोटे पर्दे का "कौन बनेगा करोड़पति" शो उनके लिए लकी साबित हुआ , इस.शो के जरिये अमिताभ ने जहां लोगों को करोड़पति बनने का मौका दिया वहीं खुद को कर्जे से बाहर निकालने की भरपूर संघर्ष भी की । इस आर्थिक तंगी में केबीसी के अलावा निर्देशक यश चोपड़ा ने उनकी मदद की उनके लिए फिल्म 'मोहब्बतें' बनाकर जो अमिताभ के लिए टर्निंग प्वॉइंट साबित हुई।

हिट होने के साथ अमिताभ ने प्रॉपर्टी पर ढेर सारा पैसा खर्च किया और कई बंगलों का निर्माण करवाया । जिसमे “प्रतीक्षा” पहला बंगला है जहां वे अपने माता-पिता के साथ रहते थे। “जलसा” निर्देशक रमेश सिप्पी द्वारा उनकी फिल्म ‘सत्ते पे सत्ता ’के मेहनताने और उपहार स्वरूप दिया था । “जनक” यह मीडिया और कार्यालीय उपयोग के लिए बनवाया गया। "वत्स " नाम के बंगले को सिटी बैंक इंडिया को किराए पर दिया गया है, जो अन्य बंगलों से थोड़ा छोटा है। जलसा के पीछे भी एक नया बंगला बनाया गया है जिसे कोई नाम नहीं दिया गया है,इसे बच्चन परिवार के लिए जलसा का विस्तारित रूप कह सकते हैं ।

आज अमिताभ 1000 करोड़ से भी अधिक संपति के मालिक हैं। नोएडा, अहमदाबाद, गांधीनगर, पुणे और भोपाल के अलावे फ्रांस के ब्रिग्नोगन में भी इनके प्लॉट है। लखनऊ और बाराबंकी में कई कृषि योग्य जमीन है। आज भी अमिताभ एक फिल्मों के लिए 7-8 करोड़ और विज्ञापनों के लिए 5 करोड़ चार्ज करते हैं ।

 

रफी के रोमांटिक गानें हों , किशोर के मस्ती भरे नगमें या मुकेश के दर्द भरे गीत । तीनों ही गायकों के अपने-अपने अलग-अलग अंदाज रहे। तीनों गायकों की अपनी अपनी फैन फॉलोइंग भी रही। पर कुछ श्रोता ऐसे भी रहे जिन्हें इन तीनों की ही गायन शैली ताउम्र लुभाती रही।

कैरियर से जुड़ा एक संयोग -
मोहम्मद 
रफ़ी ने अपने करियर की शुरुआत 1944 में, मुकेश ने 1945 में और किशोर कुमार ने 1946 में की ।

मोहम्मद रफी ने 1944 में अपने प्लेबैक सिंगिंग की शुरुआत पंजाबी फिल्म -" गुल बलोच" के गाने से की थी। इसके बाद कुछ दिन ऑल इंडिया रेडियो ( लाहौर स्टेशन) के लिए गाते रहे। फिर मुंबई आ गए और हिंदी फिल्मों में गाने लगे। दिलचस्प बात यह है कि सन 1971 में "हज" से लौटते समय मौलवियों ने उनसे कहा- आप हाजी हो गए हैं , इसलिए अब आपको फ़िल्मों में नहीं गाना चाहिए. इसके बाद रफी ने भारत लौटकर गाने गाना बंद कर दिया था."

पार्श्व गायक के तौर पर सन-1945 में फ़िल्म "पहली नज़र" के लिए मुकेश ने जो पहला गाना गाया ,वह था -"दिल जलता है तो जलने दे" जिसे अभिनेता मोतीलाल पर फिल्माया गया था ।

किशोर कुमार को पहली बार फिल्म - शिकारी के लिए गाने का मौका 1946 में मिला, जब वे 17 साल के थे, पर बाद में उस गाने को फिल्म से हटा दिया गया, आगे चलकर 1948 में उन्होंने फिल्म जिद्दी के लिए-" मरने की दुआएं क्यों मांगू" गाया और 1949 आते आते संगीत जगत मे पुरी तरह स्थापित हो गए।

निधन से जुड़ा विचित्र संयोग -
रफी का निधन 1980 में मात्र 56 वर्ष की उम्र में हो गया,
किशोर कुमार का निधन 1987 में मात्र 58 वर्ष की उम्र में हो गया,
 और
मुकेश का निधन 1976 में मात्र 53 वर्ष की उम्र में हो गया।

इन तीनों ही गायकों की मौत तब हुई जब ये अपनी गायकी के उत्कर्ष पर थे, निजी जीवन में तीनों एक दूसरे के गहरे मित्र रहे और जब भी मिलते एक दूसरे के लिए लंबी उम्र की दुआएं मांगते पर अफसोस कोई भी 60 वर्ष की उम्र को पार नहीं कर सका। बेहद दिलचस्प बात यह है कि तीनों महान गायकों का देहांत हार्ट अटैक की वजह से ही हुआ।

गायन से जुड़ा ऐतिहासिक संयोग -
रफी और किशोर , रफी और मुकेश, किशोर और मुकेश ने वैसे तो कई नगमे साथ साथ गाए पर एकमात्र फिल्म 
"अमर अकबर एंथनी" में तीनों गायकों ने एक साथ गाया। मजे की बात यह रही की "हमको तुमसे हो गया है प्यार क्या करें " गाने में लता मंगेशकर ने इन तीनों के साथ पहली और आखरी बार गाया। हालांकि यह गीत मुकेश के देहांत के बाद रिलीज हुआ जिसकी रिकॉर्डिंग पहले ही कर ली गई थी।

जीवन

 

जगजीत सिंह हिन्दी सिनेमा में पार्श्वगायक बनने का सपना लेकर घर से बिना किसी को बताए मुंबई भाग आए थे । तब दो वक्त की रोटी के लिए कॉलेज और पार्टियों में गाया करते थे। ये वो दौर था जब तलत महमूद, मोहम्मद रफ़ी , किशोर कुमार, मन्नाडे जैसे दिग्गज गायक लोगों की जुबां पर चढ़े हुये थे । इन महारथियों के दौर में दूसरे लोगों को पार्श्व गायन का मौक़ा मिलना बहुत ही मुश्किल था । हालांकि जगजीत सिंह हल्के शास्त्रीय धुनों पर आधारित अपने पहले एलबम ‘द अनफ़ॉरगेटेबल्स’ रिलीज कराने में कामयाब रहे । जगजीत ने इस एलबम की कामयाबी के बाद मुंबई में अपना फ़्लैट भी ख़रीद लिया था ।

1981 में आई फिल्म ‘प्रेमगीत’ और 1982 में प्रदर्शित फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह ने बतौर संगीतकार हिट धुनें तैयार कीं, फ़िल्म के सभी गाने लोगों की जुबां पर चढ़ गए । लेकिन इसके बाद फ़िल्म- लीला, ख़ुदाई, बिल्लू बादशाह, क़ानून की आवाज़, राही, ज्वाला, लौंग दा लश्कारा, रावण और सितम जैसे फिल्मों में भी संगीत दिया, पर सारी की सारी फिल्में असफल रहीं और उनके संगीत बेहद नाकामयाब रहे । इस तरह जगजीत सिंह ने बतौर संगीतकार फ़िल्मों में हिट संगीत देने के लिए काफी पापड़ बेले लेकिन वे अच्छे फ़िल्मी गाने रचने में विफल ही रहे। मायूस होकर उन्होने गायन पर अपना सम्पूर्ण ध्यान लगाना शुरू किया। क्योंकि इनकी गायिकी इनके ही संगीत पर भारी पड़ने लगी ।

एक गायक के रूप में जगजीत जी लोगों की दिल की गहराइयों में उतरते रहे । इनका- ‘होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो’, ‘ओ मां तुझे सलाम’, ‘‘चिट्ठी ना कोई संदेश’, ‘बड़ी नाज़ुक है ये मंज़िल’ , ‘ये तेरा घर, ये मेरा घर’ , ‘प्यार मुझसे जो किया तुमने’ , ‘होशवालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है’ ‘, ‘हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते’ , ‘कोई फ़रयाद तेरे दिल में दबी हो जैसे’ ,‘तुम पास आ रहे हो’ या ‘मेरी आंखों ने चुना है तुझको दुनिया देखकर’ जैसे गीत बेहद हिट रहे।

ग़ज़लों को फ़िल्मी गानों की तरह गाये जाने की वजह से आमलोगों द्वारा इसे बहुत पसंद किया जाने लगा लेकिन ग़ज़ल की दुनिया में जिस शास्त्रीय शैली का निर्वाह बेग़म अख़्तर, कुन्दनलाल सहगल, तलत महमूद, मेहदी हसन आदि गायकों ने किया था उस परम्परा से हटकर परंपरागत गायकी के शौकीनों को जगजीत सिंह की ये शैली और प्रयोग पसंद नहीं आई । उनका आरोप था की जगजीत सिंह ने ग़ज़ल की मूल भावना और स्वभाव के साथ छेड़छाड़ की है। हालांकि जगजीत सिंह ने शब्दों और वाद्ययंत्रों से संबन्धित बदलाव जारी रखा। इस बीच उन्होने फ़िल्मी गानों का कवर वर्सन एलबम क्लोज़ टू माइ हार्ट निकाला लेकिन इसमे रफ़ी साहब का कोई गाना नहीं था। गौर करने वाली बात है की रफी साहब को ये अपना आदर्श मानते थे, लेकिन संघर्ष के दिनों में उनके ही बारे में तीखी टिप्पणी करके आलोचनाओ के शिकार भी हो चुके थे। पाकिस्तान द्वारा वीजा नही दिये जाने से नाराज जगजीत सिंह ने पाकिस्तानी गायकों पर बैन लगाने की मांग की थी। हालांकि बाद के दिनों में जब पाकिस्तान से बुलावा आया तो ये नाराजगी भी दूर हो गयी । बाद में पाकिस्तानी गजल गायक मेहंदी हसन को इलाज के लिए पैसों की मदद भी की।

गजल गायक गुलाम अली के साथ एक शो की तैयारी करते करते गजल के बादशाह जगजीत सिंह का 10 अक्टूबर 2011 सुबह 8 बजे मुंबई में देहांत हो गया ।

 वैसे तो हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक में दूसरी शादी करने का चलन पुराना है, पर शादी के बाद तलाक या अफेयर करने के मामले में ना तो हॉलीवुड कम है और ना ही बॉलीवुड पीछे . इनके वास्तविक जीवन पर गौर करें तो पाएंगे की इनके रीयल लाइफ में रील लाइफ का असर साफ झलकता है।वास्तव में कितनी अजीब दुनिया है बॉलीवुड सितारों की जो प्यार, शादी और तलाक तथा फिर प्यार , शादी और तलाक का खेल खेलते रहते हैं.

एक नजर बॉलीवुड के उन रोचक शादियों और तलाकों पर जो एक दूसरे से ऐसे उलझी हुई हैं जैसे बिजली के तार 

किशोर कुमार की पहली शादी रूमा देवी से हुई थी मगर शादी जल्द ही टूट गयी, रूमा ने किशोर से अलग हो कर Arup Guha Thakurta से शादी कर ली । इसके बाद किशोर दा ने धुबाला से विवाह कर लिया। यहाँ बताना जरूरी है की उस दौर के दौलत और शोहरत की बुलंदी पर पहुंचे अभिनेता दिलीप कुमार (युशुफ खान ) जहाँ रूप सुंदरी मधुबाला पे फिदा थे और उनसे शादी भी करना चाहते थे। ( हालांकि दिलीप साब शायरा बानू और शमा से पहले ही शादी रचा चुके थे ,उस समय शायरा 22 और दिलीप 44 के थे ) वहीं मधुबाला, किशोर की दूसरी पत्नी बनीं, मधुबाला के देहांत के बाद किशोर फिर से अकेले हो गए,लगभग सात साल बाद इनकी विरान जिंदगी में फिर से खुशियों के आँचल लिए योगिता बाली का किशोर की तीसरी पत्नी के रूप मे आगमन हुआ मगर कुछ ही दिनों में दोनों में अलगाव हो गया, किशोर से अलग हो कर योगिता, मिथुन चक्रवर्ती की तीसरी पत्नी बन गयीं। इससे पहले मिथुन दा हेलेना और श्रीदेवी से शादियां रचा चुके थे , मिथुन दा से अलग होकर श्रीदेवी ने बोनी कपूर की दूसरी पत्नी बनना स्वीकार लिया जो खुद मोना शौरी को तलाक दे चुके थे। किशोर कुमार की चौथी और आखरी शादी लीना चंदावरकर से हुयी जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं। लीना किशोर की पत्नी बनने से पहले Siddharth Bandodkar की पत्नी रह चुकी थीं ।

लगे हाँथ बात संजय दत्त की भी हो जाये इनकी पहली शादी रीचा शर्मा हुई थी इनके देहांत के बाद इन्होने Rhea Pillai से विवाह रचाया मगर जल्द ही तलाक हो गया, फिर Rhea Pillai ने लिएंडर पेश का दामन थाम लिया और संजय ने मान्यता Manyata Dutt को अपना हमशफर बना लिया। किरण खेर, नुपम खेर की पत्नी बनने से पहले गौतम बेरी को तलाक दे चुकी थीं, हिमैन धर्मेन्द्र ने खुद हेमा मालिनी से विवाह करने के पहले प्रकाश कौर से विवाह किया था, गायक कुमार सानु ने भी Saloni Sanu के बाद Rita Sanu से विवाह रचाया , मिर खान ने Reena Dutta को तलाक देकर किरण से शादी रचाई ,विनोद खन्ना ने पहले गीतांजली से विवाह किया फिर इन्हे तलाक देकर विता से विवाह किया , सैफ अली खान ने तो अपने उम्र से 10 साल बड़ी मृता सिंह से शादी की फिर तलाक देकर अपने उम्र से 10 साल छोटी रीना कपूर संग निकाह कर लिया , दित्य चोपड़ा ने पहले पायल खन्ना से शादी की फिर तलाक देकर रानी मुखर्जी से शादी कर ली।म्मी कपूर ने भी पहले गीता बाली से फिर दूसरी बार नीला देवी से विवाह किया ,जावेद अख्तर साहब ने पहले हन्नी ईरानी से निकाह किया तलाक देकर बाना आजमी से शादी रचाई। शा भोंसले ने पहले णपत राव से विवाह किया फिर राहुलदेव वर्मन से जिनका पहले ही रीता पटेल से तलाक हो चुका था ।विनोद मेहरा ने पहले मीना से विवाह किया ,उनसे तलाक के बाद बिंदिया गोस्वामी से दूसरा विवाह किया जो पहले जे ० पी ० दत्ता की पत्नी रह चुकी थी फिर उन्हे भी तलाक देकर तीसरा विवाह किरण से किया। गीतकार गुलजार ने राखी से विवाह किया जो पहले जॉय विश्वास की हमसफ़र रह चुकी थीं. कमल हासन ने पहले वाणी गणपति से विवाह किया, फिर तलाक देकर सारिका से विवाह कर लिया, सारिका खुद कमल हासन को तलाक देकर चिन पीलगांवकर की पत्नी बन गयीं । मजे की बात ये है की सचिन खुद सुप्रिया पिलगांवकर को तलाक दे चुके थे. नुराग कश्यप ने पहले आरती बजाज से शादी की ,बाद मे ल्कि कोचलिन से दूसरा विवाह किया जो उम्र मे इनसे काफी छोटी थी, कुछ दिनो पहले इनसे भी तलाक हो गया।हेश भट्ट ने किरण भट्ट से अलग होकर सोनी राज़दान से विवाह किया। राज बब्बर ने भी स्मिता पाटिल और नादिरा जाहिर से विवाह किया, लीम खान यानि सलमान खान के पिता ने भी सुशीला चरक के बाद हेलेन जो पहले प्रेम नारायण अरोड़ा की पत्नी रह चुकी थी से विवाह किया । शाहिद कपूर के पिता पंकज कपूर ने भी नीलिमा अजीम और सुप्रिया पाठक से ब्याह किया, हालाँकि पंकज कपूर से अलग होकर निलीमा राजेश खट्टर की पत्नी बनी पर बाद में राजेश खट्टर की ज़िन्दगी में वंदना सजनानी बहार बनकर आ गयी तो नीलिमा ने बचपन के दोस्त उस्ताद जा अली खान को अपना हमसफर बना लिया , समीर सोनी ने पहले राजलक्ष्मी से ब्याह किया परन्तु राजलक्ष्मी ने समीर से अलग होकर राहुल रॉय को अपना पति बना लिया , उसके बाद समीर सोनी ने नीलम कोठारी को दूसरी पत्नी बनाया . की अली भी शादी के और तलाक के मामले में तीन बार लकी Kate Hallam , Inaya, Meaghana रहे । नीषा कोइराला का भी मात्र दो सालों में. म्राट दहल से अलगाव हो गया, यहीं हाल हिमा चौधरी और बॉबी मुखर्जी, मपुरी और नंदिता पुरी, राजेश खन्ना और डिंपल, कोंकणा सेन और रनबीर शौरी का भी है .वीना टंडन ने भी निल थडानी से विवाह किया जो पहले से तलाकशुदा जीवन जी रहे थे , आज दोनों अलग हैं , शिल्पा शेट्टी को ही लें राज कुंद्रा के साथ घर बसाया जो पहले कविता कुंद्रा को तलाक दें चुके हैं , करिश्मा कपूर का संजय कपूर के साथ तलाक कौन नहीं जानता हालाँकि संजय कपूर भी पहले शादीशुदा जीवन जी चुके थे , स्वेता तिवारी का भी पहले राज सिंह चौधरी से विवाह हुआ फिर तलाक लेकर भिनव कोहली से दुबारा विवाह हुआ । नसीरुद्दीन शाह ने भी नारा सिकरी को तलाक देकर त्ना पाठक से विवाह किया, अनिल कपूर के भाई संजय कपूर का भी नंदिता महतानी के बाद हीप संधु से विवाह हुआ, अभी हाल ही में ह्रितिक रौशन का भी सुजेन खान के साथ लम्बे अंतराल बाद तलाक हो गया , साथ ही ऋतिक रोशन की बहन सुनैना और शीष का भी तलाक हो गया। इसके बाद सुनैना ने निक दय सिंह से सगाई की थी लेकिन शादी से पहले ही उन्होंने यह रिश्ता भी तोड़ दिया , फिर सुनैना ने मोहन से शादी की। पर साल 2013 में उनका भी तलाक हो गया ।

सूची काफी लम्बी है, चार या तीन शादियों को जाने दें तब भी , दो-दो- शादियों और प्रेम -संबंधों में घिरे देख कर यही जान पड़ता है की शादी इनके लिए दौलत ,शोहरत और ऐश-ओ -आराम पाने का जरिया मात्र है , अगर दौलत ,शोहरत और ऐश -ओ -आराम पाने के विकल्प मौजूद हों तो शादी क्यों ?, और अगर शादी हो भी तो तलाक क्यों नहीं ?

 मशहूर शायर और गीतकार राहत इंदौरी साहब को मंचों पर शायरी करते आपने जरूर सुना और देखा होगा। फिल्मों के लिए उनके लिखे गीत या संवाद से भी आप जरूर रूबरू हुए होंगे। पर हम बताने जा रहे हैं एक ऐसी फिल्म जिसे आपने देखी जरूर होगी पर शायद गौर नहीं किया होगा, हां एक बात जरूर है फिल्म में उस कैदी को शेर पढ़ते हुए देखकर आपको लगा जरूर होगा, कहीं तो देखा या सुना है । आज एक बार फिर से फिल्म के उस अंश देखें फिर तय करें कि वह चेहरा कौन था…?

इतने छोटे से रोल में भी राहत इंदौरी साहब ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है।

 बॉलीवुड संगीत ही नहीं आप किसी भी क्षेत्र में टीम-वर्क या फेवरेटिज्म...को देख सकते है. जिसका मुख्य लक्ष्य है- गुनवातापूर्ण कार्य । जब बात फिल्म संगीत जैसे सृजनात्मक कार्य की हो जहां श्रम, समय और पैसा अपेक्षाकृत ज्यादा लगता है वहाँ ग्रुप या जोड़े में काम करना बेहतर से बेहतर करने की ओर ले जाता है । जब दो लोग एक साथ काम कर रहे होते हैं तो तकनीकी और सृजनातमक रूप में दोगुनी क्षमता का उपयोग होता है, जिससे की होने वाली त्रुटियों की गुंजाइश नहीं रह जाती । संगीतकार जोड़ियाँ भी (खशतौर पर दो भाइयों की जोड़ी) इसी वाजही से प्रचलित रहीं –

कल्याणजी-आनंदजी- कल्याणजी वीरजी शाह और उनके भाई आनंदजी वीरजी शाह हिन्दी फिल्मों की जानी मानी संगीतकार जोड़ी है. उनके कुछ बेहतरीन फ़िल्मों में "डॉन", "बैराग", "सरस्वतीचंद्र", "क़ुर्बानी", "मुक़द्दर का सिकंदर", "लावारिस", "त्रिदेव" और "सफ़र" आदि हैं। उन्होंने "कोरा कागज़” (फ़िल्म) के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के लिए 1975 फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड जीता।

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल- लक्ष्मीकांत शांताराम कुदलकर और प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा की लोकप्रिय संगीतकार जोड़ी। उन्होने 1963 से 1998 तक लगभग 635 हिंदी फिल्मों के लिए संगीत रचना की।

शंकर जयकिशन- (जिन्हें S-J के नाम से भी जाना जाता है), 1949 से 1971 तक एक साथ काम करते हुए हिंदी फिल्म उद्योग की एक लोकप्रिय और सफल भारतीय संगीतकार जोड़ी थी।बाद में, शंकर अकेले संगीत निर्देशक के रूप में कार्य करते रहे, लेकिन 1987 तक शंकर-जयकिशन के नाम से ही संगीत देते रहे|

जतिन-ललित- इसमें दो भाई जतिन पंडित और ललित पंडित जोड़ी के रूप में कार्य किया । 2006 में दोनों भाई ने जोड़ी तोड़ दी। बाद में ललित पंडित ने कुछ फ़िल्मों में अकेले संगीत दिया।

आनंद-मिलिंद हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी है। अपने शुरूआती दौर में संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के सहायक रहे। इसके अलावा अपने पिता के सहायक के तौर पर भी उन्होंने कई हिन्दी और भोजपुरी फिल्मों में संगीत दिया।

साजिद-वाजिद – दोनों भाइयों की जोड़ी ने कई फिल्मों के गाने गाये हैं, लिखे है और निर्देशित भी कर चुके हैं। फिल्म दबंग के संगीत लिए उन्हें 2011 में फ़िल्म्फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वाजिद का 31 मई 2020 को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया।

सचिन–जिगरसचिन सांघवी और जिगर सरैया की जोड़ी। जिनहोने गायन में भी हाथ अजमाया है ।

सलीम और सुलेमान - प्रसिद्ध संगीत निर्देशक और गायक । यह एक दो भाइयों की जोड़ी है जिसमे, सलीम मर्चेंट और सुलेमान मर्चेंट शामिल हैं।

विशाल-शेखर विशाल दादलानी और शेखर रवजियानी की जोड़ी ने झनकार बीट्सओम शांति ओमतारा रम पमसलाम नमस्तेदसब्लफमास्टरटशनबचना ऐ हसीनोंदोस्तानाआई हेट लव स्टोरिजअंजाना अंजानी और ब्रेक के बाद आदि कई फिल्मों के लिए सफल संगीत दे चुके हैं ।

अजय-अतुल- अजय-अतुल को मराठी फिल्म जोगवा में संगीत में विशिष्ट योगदान के लिए भारत सरकार से 56 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन का पुरस्कार मिल चुका है।

मीत ब्रदर्स- इस जोड़ी में मनमीत सिंह और हरमीत सिंह शामिल हैं, पहले इसमें अंजान भट्टाचार्य भी शामिल थे और वे मीत ब्रदर्स अंजन कहलाते थे पर 2015 में भट्टाचार्य अलग हो गए और उन्होंने अपना खुद का संगीत व्यवसाय शुरू किया।

 

इसे आप संयोग कह सकते हैं , पर यह महज संयोग नहीं है , भारतीयता की भावना ( स्वदेशी) झलकाने के उदेश्य से, काफी विचार विमर्श के बाद पतंजलि ट्रेडमार्क में नीचे घुमावदार हरे और नारंगी रंगों का चयन किया गया है, सफ़ेद पृष्ठभूमि की वजह से उल्टे तिरंगे की अनुभूति होती है। ट्रेडमार्क नियमों के उल्लंघन से बचने के लिए रंगों का क्रम उल्टा रखा गया है।

## स्वदेशी फिलिंग के लिए ही पतंजलि के अत्यधिक उत्पादों पर देवनागरी में नाम और सूचनाएँ लिखी होतीं हैं।

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