शुक्रवार, 7 मई 2021

बात फिल्मफेयर अवॉर्ड -1993 की है, जब सर्वेश्रेष्ठ गीतकार के चयन के लिए गीतकार मजरूह सुल्तापुरी और समीर को नामांकित किया गया था। फिल्म -जो जीता वहीं सिकंदर के लिए मजरूह साहब का लिखा गाना पहला नशा पहला खुमार जहां लोगों में नशा घोले हुए था तो दूसरी तरफ फिल्म दीवाना के लिए समीर के लिखे गीत तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार करते है तारीफ के नित नए आयाम गढ़ रहा था। दोनों ही फिल्में 1992 में रिलीज हुई थीं।

जब श्रेष्ठ गीतकार के नाम कि घोषणा हो रही थी तो उम्र का प्रभाव कहें या अनुभव का आत्मविश्वास मजरूह साहब को ऐसा लगा कि उनके नाम कि घोषणा हो गई और वे पुरस्कार लेने मंच तक पहुंच गए तभी इस पुरस्कार के लिए समीर के नाम कि घोषणा हुई..समीर की तो हालात खराब हो गई, उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें... जिनको वे अपना गुरु मानते हैं और पिता समान इज्जत करते हैं..उनके ही गाने को हराकर आज वे श्रेष्ठ गीतकार का ये सम्मान कैसे ले पाएंगे, जिसके लिए भूलवश मजरूह साहब मंच पर आ गए हैं। खैर... वे मंच पर गए और एक निवेदन किया, उन्होंने कहा कि मेरी बचपन से ही दो ख्वाहिश थी एक कि जब भी पहला अवॉर्ड मिलेगा अपने पिता के हांथ से लूंगा जो कि फिल्म आशिकी से पूरी भी हो गई और दूसरा अवॉर्ड जब कभी मिलेगा आनंद बक्शी और मजरूह सुल्तानपुरी से लूंगा जिन्हें मैं अपना गुरु मानता हूं और आज वह सपना भी पूरा हो गया। मैं चाहता हूं कि यह सम्मान मुझे मजरूह साहब के हाथों से मिले।

उसी रात मजरूह साहब ने समीर को डिनर पर बुलाया और कहा कि आज मेरी इज्जत बचाकर तुमने साबित कर दिया कि तुम अनजान के बेटे हो, मेरी दुयाएं हमेशा तेरे साथ है।

सबसे अधिक गाने लिखने का गिनीज विश्व कीर्तिमान भी समीर के नाम दर्ज है। इनके पिता अनजान भी प्रसिद्ध गीतकार रहे थे।

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