गुरुवार, 21 जनवरी 2021

 

रफी के रोमांटिक गानें हों , किशोर के मस्ती भरे नगमें या मुकेश के दर्द भरे गीत । तीनों ही गायकों के अपने-अपने अलग-अलग अंदाज रहे। तीनों गायकों की अपनी अपनी फैन फॉलोइंग भी रही। पर कुछ श्रोता ऐसे भी रहे जिन्हें इन तीनों की ही गायन शैली ताउम्र लुभाती रही।

कैरियर से जुड़ा एक संयोग -
मोहम्मद 
रफ़ी ने अपने करियर की शुरुआत 1944 में, मुकेश ने 1945 में और किशोर कुमार ने 1946 में की ।

मोहम्मद रफी ने 1944 में अपने प्लेबैक सिंगिंग की शुरुआत पंजाबी फिल्म -" गुल बलोच" के गाने से की थी। इसके बाद कुछ दिन ऑल इंडिया रेडियो ( लाहौर स्टेशन) के लिए गाते रहे। फिर मुंबई आ गए और हिंदी फिल्मों में गाने लगे। दिलचस्प बात यह है कि सन 1971 में "हज" से लौटते समय मौलवियों ने उनसे कहा- आप हाजी हो गए हैं , इसलिए अब आपको फ़िल्मों में नहीं गाना चाहिए. इसके बाद रफी ने भारत लौटकर गाने गाना बंद कर दिया था."

पार्श्व गायक के तौर पर सन-1945 में फ़िल्म "पहली नज़र" के लिए मुकेश ने जो पहला गाना गाया ,वह था -"दिल जलता है तो जलने दे" जिसे अभिनेता मोतीलाल पर फिल्माया गया था ।

किशोर कुमार को पहली बार फिल्म - शिकारी के लिए गाने का मौका 1946 में मिला, जब वे 17 साल के थे, पर बाद में उस गाने को फिल्म से हटा दिया गया, आगे चलकर 1948 में उन्होंने फिल्म जिद्दी के लिए-" मरने की दुआएं क्यों मांगू" गाया और 1949 आते आते संगीत जगत मे पुरी तरह स्थापित हो गए।

निधन से जुड़ा विचित्र संयोग -
रफी का निधन 1980 में मात्र 56 वर्ष की उम्र में हो गया,
किशोर कुमार का निधन 1987 में मात्र 58 वर्ष की उम्र में हो गया,
 और
मुकेश का निधन 1976 में मात्र 53 वर्ष की उम्र में हो गया।

इन तीनों ही गायकों की मौत तब हुई जब ये अपनी गायकी के उत्कर्ष पर थे, निजी जीवन में तीनों एक दूसरे के गहरे मित्र रहे और जब भी मिलते एक दूसरे के लिए लंबी उम्र की दुआएं मांगते पर अफसोस कोई भी 60 वर्ष की उम्र को पार नहीं कर सका। बेहद दिलचस्प बात यह है कि तीनों महान गायकों का देहांत हार्ट अटैक की वजह से ही हुआ।

गायन से जुड़ा ऐतिहासिक संयोग -
रफी और किशोर , रफी और मुकेश, किशोर और मुकेश ने वैसे तो कई नगमे साथ साथ गाए पर एकमात्र फिल्म 
"अमर अकबर एंथनी" में तीनों गायकों ने एक साथ गाया। मजे की बात यह रही की "हमको तुमसे हो गया है प्यार क्या करें " गाने में लता मंगेशकर ने इन तीनों के साथ पहली और आखरी बार गाया। हालांकि यह गीत मुकेश के देहांत के बाद रिलीज हुआ जिसकी रिकॉर्डिंग पहले ही कर ली गई थी।

जीवन

 

जगजीत सिंह हिन्दी सिनेमा में पार्श्वगायक बनने का सपना लेकर घर से बिना किसी को बताए मुंबई भाग आए थे । तब दो वक्त की रोटी के लिए कॉलेज और पार्टियों में गाया करते थे। ये वो दौर था जब तलत महमूद, मोहम्मद रफ़ी , किशोर कुमार, मन्नाडे जैसे दिग्गज गायक लोगों की जुबां पर चढ़े हुये थे । इन महारथियों के दौर में दूसरे लोगों को पार्श्व गायन का मौक़ा मिलना बहुत ही मुश्किल था । हालांकि जगजीत सिंह हल्के शास्त्रीय धुनों पर आधारित अपने पहले एलबम ‘द अनफ़ॉरगेटेबल्स’ रिलीज कराने में कामयाब रहे । जगजीत ने इस एलबम की कामयाबी के बाद मुंबई में अपना फ़्लैट भी ख़रीद लिया था ।

1981 में आई फिल्म ‘प्रेमगीत’ और 1982 में प्रदर्शित फिल्म ‘अर्थ’ में जगजीत सिंह ने बतौर संगीतकार हिट धुनें तैयार कीं, फ़िल्म के सभी गाने लोगों की जुबां पर चढ़ गए । लेकिन इसके बाद फ़िल्म- लीला, ख़ुदाई, बिल्लू बादशाह, क़ानून की आवाज़, राही, ज्वाला, लौंग दा लश्कारा, रावण और सितम जैसे फिल्मों में भी संगीत दिया, पर सारी की सारी फिल्में असफल रहीं और उनके संगीत बेहद नाकामयाब रहे । इस तरह जगजीत सिंह ने बतौर संगीतकार फ़िल्मों में हिट संगीत देने के लिए काफी पापड़ बेले लेकिन वे अच्छे फ़िल्मी गाने रचने में विफल ही रहे। मायूस होकर उन्होने गायन पर अपना सम्पूर्ण ध्यान लगाना शुरू किया। क्योंकि इनकी गायिकी इनके ही संगीत पर भारी पड़ने लगी ।

एक गायक के रूप में जगजीत जी लोगों की दिल की गहराइयों में उतरते रहे । इनका- ‘होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो’, ‘ओ मां तुझे सलाम’, ‘‘चिट्ठी ना कोई संदेश’, ‘बड़ी नाज़ुक है ये मंज़िल’ , ‘ये तेरा घर, ये मेरा घर’ , ‘प्यार मुझसे जो किया तुमने’ , ‘होशवालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है’ ‘, ‘हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते’ , ‘कोई फ़रयाद तेरे दिल में दबी हो जैसे’ ,‘तुम पास आ रहे हो’ या ‘मेरी आंखों ने चुना है तुझको दुनिया देखकर’ जैसे गीत बेहद हिट रहे।

ग़ज़लों को फ़िल्मी गानों की तरह गाये जाने की वजह से आमलोगों द्वारा इसे बहुत पसंद किया जाने लगा लेकिन ग़ज़ल की दुनिया में जिस शास्त्रीय शैली का निर्वाह बेग़म अख़्तर, कुन्दनलाल सहगल, तलत महमूद, मेहदी हसन आदि गायकों ने किया था उस परम्परा से हटकर परंपरागत गायकी के शौकीनों को जगजीत सिंह की ये शैली और प्रयोग पसंद नहीं आई । उनका आरोप था की जगजीत सिंह ने ग़ज़ल की मूल भावना और स्वभाव के साथ छेड़छाड़ की है। हालांकि जगजीत सिंह ने शब्दों और वाद्ययंत्रों से संबन्धित बदलाव जारी रखा। इस बीच उन्होने फ़िल्मी गानों का कवर वर्सन एलबम क्लोज़ टू माइ हार्ट निकाला लेकिन इसमे रफ़ी साहब का कोई गाना नहीं था। गौर करने वाली बात है की रफी साहब को ये अपना आदर्श मानते थे, लेकिन संघर्ष के दिनों में उनके ही बारे में तीखी टिप्पणी करके आलोचनाओ के शिकार भी हो चुके थे। पाकिस्तान द्वारा वीजा नही दिये जाने से नाराज जगजीत सिंह ने पाकिस्तानी गायकों पर बैन लगाने की मांग की थी। हालांकि बाद के दिनों में जब पाकिस्तान से बुलावा आया तो ये नाराजगी भी दूर हो गयी । बाद में पाकिस्तानी गजल गायक मेहंदी हसन को इलाज के लिए पैसों की मदद भी की।

गजल गायक गुलाम अली के साथ एक शो की तैयारी करते करते गजल के बादशाह जगजीत सिंह का 10 अक्टूबर 2011 सुबह 8 बजे मुंबई में देहांत हो गया ।

 वैसे तो हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक में दूसरी शादी करने का चलन पुराना है, पर शादी के बाद तलाक या अफेयर करने के मामले में ना तो हॉलीवुड कम है और ना ही बॉलीवुड पीछे . इनके वास्तविक जीवन पर गौर करें तो पाएंगे की इनके रीयल लाइफ में रील लाइफ का असर साफ झलकता है।वास्तव में कितनी अजीब दुनिया है बॉलीवुड सितारों की जो प्यार, शादी और तलाक तथा फिर प्यार , शादी और तलाक का खेल खेलते रहते हैं.

एक नजर बॉलीवुड के उन रोचक शादियों और तलाकों पर जो एक दूसरे से ऐसे उलझी हुई हैं जैसे बिजली के तार 

किशोर कुमार की पहली शादी रूमा देवी से हुई थी मगर शादी जल्द ही टूट गयी, रूमा ने किशोर से अलग हो कर Arup Guha Thakurta से शादी कर ली । इसके बाद किशोर दा ने धुबाला से विवाह कर लिया। यहाँ बताना जरूरी है की उस दौर के दौलत और शोहरत की बुलंदी पर पहुंचे अभिनेता दिलीप कुमार (युशुफ खान ) जहाँ रूप सुंदरी मधुबाला पे फिदा थे और उनसे शादी भी करना चाहते थे। ( हालांकि दिलीप साब शायरा बानू और शमा से पहले ही शादी रचा चुके थे ,उस समय शायरा 22 और दिलीप 44 के थे ) वहीं मधुबाला, किशोर की दूसरी पत्नी बनीं, मधुबाला के देहांत के बाद किशोर फिर से अकेले हो गए,लगभग सात साल बाद इनकी विरान जिंदगी में फिर से खुशियों के आँचल लिए योगिता बाली का किशोर की तीसरी पत्नी के रूप मे आगमन हुआ मगर कुछ ही दिनों में दोनों में अलगाव हो गया, किशोर से अलग हो कर योगिता, मिथुन चक्रवर्ती की तीसरी पत्नी बन गयीं। इससे पहले मिथुन दा हेलेना और श्रीदेवी से शादियां रचा चुके थे , मिथुन दा से अलग होकर श्रीदेवी ने बोनी कपूर की दूसरी पत्नी बनना स्वीकार लिया जो खुद मोना शौरी को तलाक दे चुके थे। किशोर कुमार की चौथी और आखरी शादी लीना चंदावरकर से हुयी जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं। लीना किशोर की पत्नी बनने से पहले Siddharth Bandodkar की पत्नी रह चुकी थीं ।

लगे हाँथ बात संजय दत्त की भी हो जाये इनकी पहली शादी रीचा शर्मा हुई थी इनके देहांत के बाद इन्होने Rhea Pillai से विवाह रचाया मगर जल्द ही तलाक हो गया, फिर Rhea Pillai ने लिएंडर पेश का दामन थाम लिया और संजय ने मान्यता Manyata Dutt को अपना हमशफर बना लिया। किरण खेर, नुपम खेर की पत्नी बनने से पहले गौतम बेरी को तलाक दे चुकी थीं, हिमैन धर्मेन्द्र ने खुद हेमा मालिनी से विवाह करने के पहले प्रकाश कौर से विवाह किया था, गायक कुमार सानु ने भी Saloni Sanu के बाद Rita Sanu से विवाह रचाया , मिर खान ने Reena Dutta को तलाक देकर किरण से शादी रचाई ,विनोद खन्ना ने पहले गीतांजली से विवाह किया फिर इन्हे तलाक देकर विता से विवाह किया , सैफ अली खान ने तो अपने उम्र से 10 साल बड़ी मृता सिंह से शादी की फिर तलाक देकर अपने उम्र से 10 साल छोटी रीना कपूर संग निकाह कर लिया , दित्य चोपड़ा ने पहले पायल खन्ना से शादी की फिर तलाक देकर रानी मुखर्जी से शादी कर ली।म्मी कपूर ने भी पहले गीता बाली से फिर दूसरी बार नीला देवी से विवाह किया ,जावेद अख्तर साहब ने पहले हन्नी ईरानी से निकाह किया तलाक देकर बाना आजमी से शादी रचाई। शा भोंसले ने पहले णपत राव से विवाह किया फिर राहुलदेव वर्मन से जिनका पहले ही रीता पटेल से तलाक हो चुका था ।विनोद मेहरा ने पहले मीना से विवाह किया ,उनसे तलाक के बाद बिंदिया गोस्वामी से दूसरा विवाह किया जो पहले जे ० पी ० दत्ता की पत्नी रह चुकी थी फिर उन्हे भी तलाक देकर तीसरा विवाह किरण से किया। गीतकार गुलजार ने राखी से विवाह किया जो पहले जॉय विश्वास की हमसफ़र रह चुकी थीं. कमल हासन ने पहले वाणी गणपति से विवाह किया, फिर तलाक देकर सारिका से विवाह कर लिया, सारिका खुद कमल हासन को तलाक देकर चिन पीलगांवकर की पत्नी बन गयीं । मजे की बात ये है की सचिन खुद सुप्रिया पिलगांवकर को तलाक दे चुके थे. नुराग कश्यप ने पहले आरती बजाज से शादी की ,बाद मे ल्कि कोचलिन से दूसरा विवाह किया जो उम्र मे इनसे काफी छोटी थी, कुछ दिनो पहले इनसे भी तलाक हो गया।हेश भट्ट ने किरण भट्ट से अलग होकर सोनी राज़दान से विवाह किया। राज बब्बर ने भी स्मिता पाटिल और नादिरा जाहिर से विवाह किया, लीम खान यानि सलमान खान के पिता ने भी सुशीला चरक के बाद हेलेन जो पहले प्रेम नारायण अरोड़ा की पत्नी रह चुकी थी से विवाह किया । शाहिद कपूर के पिता पंकज कपूर ने भी नीलिमा अजीम और सुप्रिया पाठक से ब्याह किया, हालाँकि पंकज कपूर से अलग होकर निलीमा राजेश खट्टर की पत्नी बनी पर बाद में राजेश खट्टर की ज़िन्दगी में वंदना सजनानी बहार बनकर आ गयी तो नीलिमा ने बचपन के दोस्त उस्ताद जा अली खान को अपना हमसफर बना लिया , समीर सोनी ने पहले राजलक्ष्मी से ब्याह किया परन्तु राजलक्ष्मी ने समीर से अलग होकर राहुल रॉय को अपना पति बना लिया , उसके बाद समीर सोनी ने नीलम कोठारी को दूसरी पत्नी बनाया . की अली भी शादी के और तलाक के मामले में तीन बार लकी Kate Hallam , Inaya, Meaghana रहे । नीषा कोइराला का भी मात्र दो सालों में. म्राट दहल से अलगाव हो गया, यहीं हाल हिमा चौधरी और बॉबी मुखर्जी, मपुरी और नंदिता पुरी, राजेश खन्ना और डिंपल, कोंकणा सेन और रनबीर शौरी का भी है .वीना टंडन ने भी निल थडानी से विवाह किया जो पहले से तलाकशुदा जीवन जी रहे थे , आज दोनों अलग हैं , शिल्पा शेट्टी को ही लें राज कुंद्रा के साथ घर बसाया जो पहले कविता कुंद्रा को तलाक दें चुके हैं , करिश्मा कपूर का संजय कपूर के साथ तलाक कौन नहीं जानता हालाँकि संजय कपूर भी पहले शादीशुदा जीवन जी चुके थे , स्वेता तिवारी का भी पहले राज सिंह चौधरी से विवाह हुआ फिर तलाक लेकर भिनव कोहली से दुबारा विवाह हुआ । नसीरुद्दीन शाह ने भी नारा सिकरी को तलाक देकर त्ना पाठक से विवाह किया, अनिल कपूर के भाई संजय कपूर का भी नंदिता महतानी के बाद हीप संधु से विवाह हुआ, अभी हाल ही में ह्रितिक रौशन का भी सुजेन खान के साथ लम्बे अंतराल बाद तलाक हो गया , साथ ही ऋतिक रोशन की बहन सुनैना और शीष का भी तलाक हो गया। इसके बाद सुनैना ने निक दय सिंह से सगाई की थी लेकिन शादी से पहले ही उन्होंने यह रिश्ता भी तोड़ दिया , फिर सुनैना ने मोहन से शादी की। पर साल 2013 में उनका भी तलाक हो गया ।

सूची काफी लम्बी है, चार या तीन शादियों को जाने दें तब भी , दो-दो- शादियों और प्रेम -संबंधों में घिरे देख कर यही जान पड़ता है की शादी इनके लिए दौलत ,शोहरत और ऐश-ओ -आराम पाने का जरिया मात्र है , अगर दौलत ,शोहरत और ऐश -ओ -आराम पाने के विकल्प मौजूद हों तो शादी क्यों ?, और अगर शादी हो भी तो तलाक क्यों नहीं ?

 मशहूर शायर और गीतकार राहत इंदौरी साहब को मंचों पर शायरी करते आपने जरूर सुना और देखा होगा। फिल्मों के लिए उनके लिखे गीत या संवाद से भी आप जरूर रूबरू हुए होंगे। पर हम बताने जा रहे हैं एक ऐसी फिल्म जिसे आपने देखी जरूर होगी पर शायद गौर नहीं किया होगा, हां एक बात जरूर है फिल्म में उस कैदी को शेर पढ़ते हुए देखकर आपको लगा जरूर होगा, कहीं तो देखा या सुना है । आज एक बार फिर से फिल्म के उस अंश देखें फिर तय करें कि वह चेहरा कौन था…?

इतने छोटे से रोल में भी राहत इंदौरी साहब ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है।

 बॉलीवुड संगीत ही नहीं आप किसी भी क्षेत्र में टीम-वर्क या फेवरेटिज्म...को देख सकते है. जिसका मुख्य लक्ष्य है- गुनवातापूर्ण कार्य । जब बात फिल्म संगीत जैसे सृजनात्मक कार्य की हो जहां श्रम, समय और पैसा अपेक्षाकृत ज्यादा लगता है वहाँ ग्रुप या जोड़े में काम करना बेहतर से बेहतर करने की ओर ले जाता है । जब दो लोग एक साथ काम कर रहे होते हैं तो तकनीकी और सृजनातमक रूप में दोगुनी क्षमता का उपयोग होता है, जिससे की होने वाली त्रुटियों की गुंजाइश नहीं रह जाती । संगीतकार जोड़ियाँ भी (खशतौर पर दो भाइयों की जोड़ी) इसी वाजही से प्रचलित रहीं –

कल्याणजी-आनंदजी- कल्याणजी वीरजी शाह और उनके भाई आनंदजी वीरजी शाह हिन्दी फिल्मों की जानी मानी संगीतकार जोड़ी है. उनके कुछ बेहतरीन फ़िल्मों में "डॉन", "बैराग", "सरस्वतीचंद्र", "क़ुर्बानी", "मुक़द्दर का सिकंदर", "लावारिस", "त्रिदेव" और "सफ़र" आदि हैं। उन्होंने "कोरा कागज़” (फ़िल्म) के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के लिए 1975 फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड जीता।

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल- लक्ष्मीकांत शांताराम कुदलकर और प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा की लोकप्रिय संगीतकार जोड़ी। उन्होने 1963 से 1998 तक लगभग 635 हिंदी फिल्मों के लिए संगीत रचना की।

शंकर जयकिशन- (जिन्हें S-J के नाम से भी जाना जाता है), 1949 से 1971 तक एक साथ काम करते हुए हिंदी फिल्म उद्योग की एक लोकप्रिय और सफल भारतीय संगीतकार जोड़ी थी।बाद में, शंकर अकेले संगीत निर्देशक के रूप में कार्य करते रहे, लेकिन 1987 तक शंकर-जयकिशन के नाम से ही संगीत देते रहे|

जतिन-ललित- इसमें दो भाई जतिन पंडित और ललित पंडित जोड़ी के रूप में कार्य किया । 2006 में दोनों भाई ने जोड़ी तोड़ दी। बाद में ललित पंडित ने कुछ फ़िल्मों में अकेले संगीत दिया।

आनंद-मिलिंद हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी है। अपने शुरूआती दौर में संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के सहायक रहे। इसके अलावा अपने पिता के सहायक के तौर पर भी उन्होंने कई हिन्दी और भोजपुरी फिल्मों में संगीत दिया।

साजिद-वाजिद – दोनों भाइयों की जोड़ी ने कई फिल्मों के गाने गाये हैं, लिखे है और निर्देशित भी कर चुके हैं। फिल्म दबंग के संगीत लिए उन्हें 2011 में फ़िल्म्फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वाजिद का 31 मई 2020 को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया।

सचिन–जिगरसचिन सांघवी और जिगर सरैया की जोड़ी। जिनहोने गायन में भी हाथ अजमाया है ।

सलीम और सुलेमान - प्रसिद्ध संगीत निर्देशक और गायक । यह एक दो भाइयों की जोड़ी है जिसमे, सलीम मर्चेंट और सुलेमान मर्चेंट शामिल हैं।

विशाल-शेखर विशाल दादलानी और शेखर रवजियानी की जोड़ी ने झनकार बीट्सओम शांति ओमतारा रम पमसलाम नमस्तेदसब्लफमास्टरटशनबचना ऐ हसीनोंदोस्तानाआई हेट लव स्टोरिजअंजाना अंजानी और ब्रेक के बाद आदि कई फिल्मों के लिए सफल संगीत दे चुके हैं ।

अजय-अतुल- अजय-अतुल को मराठी फिल्म जोगवा में संगीत में विशिष्ट योगदान के लिए भारत सरकार से 56 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन का पुरस्कार मिल चुका है।

मीत ब्रदर्स- इस जोड़ी में मनमीत सिंह और हरमीत सिंह शामिल हैं, पहले इसमें अंजान भट्टाचार्य भी शामिल थे और वे मीत ब्रदर्स अंजन कहलाते थे पर 2015 में भट्टाचार्य अलग हो गए और उन्होंने अपना खुद का संगीत व्यवसाय शुरू किया।

 

इसे आप संयोग कह सकते हैं , पर यह महज संयोग नहीं है , भारतीयता की भावना ( स्वदेशी) झलकाने के उदेश्य से, काफी विचार विमर्श के बाद पतंजलि ट्रेडमार्क में नीचे घुमावदार हरे और नारंगी रंगों का चयन किया गया है, सफ़ेद पृष्ठभूमि की वजह से उल्टे तिरंगे की अनुभूति होती है। ट्रेडमार्क नियमों के उल्लंघन से बचने के लिए रंगों का क्रम उल्टा रखा गया है।

## स्वदेशी फिलिंग के लिए ही पतंजलि के अत्यधिक उत्पादों पर देवनागरी में नाम और सूचनाएँ लिखी होतीं हैं।

शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

 

Huतू ....मेरी जिंदगी है, तू ....मेरी हर खुशी है..

1990 में रिलीज़ हुई फिल्म 'आशिकी' का ये गाना जिसे गाकर कुमार सानू रातों रात स्टार बन गए। इस फ़िल्म के सभी गाने बेहद हिट हुए। हालांकि इससे पहले भी कुमार सानु कई सारे गाने गा चुके थे । लेकिन, ये एक ऐसा गाना था जिसने कुमार सानू को बुलंदियों पर पहुंचा दिया। लेकिन मजेदार बात यह है कि जिस गाने ने कुमार सानु को स्टार बनाया था, दरअसल वह गाना पहले के एक गाने को कॉपी करके बनाई गई थी। साधारण शब्दों में कहें तो चोरी करके बनाई गई थी। गाने के शब्दों और संगीत में थोड़ी छेड़-छाड़ करके इस गाने का निर्माण किया गया। गीतकार थे समीर और संगीतकार नदीम श्रवण।

असल में यह गाना 1977 में आयी पाकिस्तानी फ़िल्म- 'मोहब्बत मर नहीं सकती' से प्रेरित था जिसे गाया था,मल्लिका-ए-तरन्नुम- 'नूरजहां' ने। वो जितनी खूबसूरत थी उतनी ही सुरीला गाती भी थीं। नूरजहां की खूबसूरती का यह आलम था कि जो भी उन्हे देखता ,देखता ही रह जाता। बंटवारे के बाद नूरजहां पाकिस्तान चली गई थीं। उनकी आखिरी ख्वाहिश थी कि मैं जहां पैदा हुई हूं वहीं पर मरूं। गाने का मेल वर्जन मेहंदी हसन से गवाया गया था। दिलचस्प बात यह है कि 1975 में इसी तरह की एक गजल को पाकिस्तानी गायिका" तस्सवर खानम" द्वारा भी रिकॉर्ड किया गया था।

साहित्यिक चोरी दशकों से फिल्म उद्योग की एक निरंतर विशेषता रही है। हॉलीवुड फिल्मों की कहानी को बिना क्रेडिट दिए उपयोग करना भी उनमें शामिल है। फिल्म संगीत में इसका खाशा असर देखा गया है, यहां तक ​​कि संगीतकार आरडी बर्मन के साथ अनु मलिक और प्रीतम आदि लोगों पर ऐसे आरोप लगते रहें है।

एक झलक इस गाने पर - "हवा हवा ए हवा खुशबू लूटा दे" हिन्दुस्तान ने पाकिस्तान से कॉपी किया और पाकिस्तान ने ईरान से -

ऐसे सैकड़ों गाने हैं जिन्हें अन्य देशों से उठाकर बॉलीवुड में उपयोग किया गया है और जो बेहद हिट रहे हैं।

 

सन 1974 में लता मंगेशकर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक गाने गानेवाली गायिका के तौर दर्ज किया गया था, जिसमें कहा गया था कि उनके द्वारा 1948 से 1974 तक सोलो, ड्यूट और कोरस में लगभग 25000 गाने गाये गये हैं, ये संख्या 20 से अधिक भारतीय भाषाओं को मिलाकर बताई गयी थी । लेकिन इस रिकॉर्ड के लिए मोहम्मद रफी साहब ने भी चुनौती कर दी और गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड को पत्र के माध्यम से दावा कर दिया कि उन्होंने सोलो ड्यूट और कोरस में लगभग 28000 गाने गाए हैं।

हालांकि गिनीज बुक के दूसरे एडिशन के आने के पहले ही सन 1980 में रफी साहब का निधन हो गया और उनके निधन के बाद जब 1987 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का नया एडिशन आया तो उसमें मोहम्मद रफी साहब के नाम के साथ लता मंगेशकर का नाम भी शामिल था, क्योंकि लता मंगेशकर लगातार गाने गा रहीं थी । और उनके अनुसार उनके गानों की संख्या अब तक 30000 को पार कर चुकी थी । परंतु 1990 के करीब इन रिकॉर्ड पर विवाद हो गया जिसमें तथ्यों एवं प्रमाणिकता पर सवाल खड़े होने लगे। ये रिकॉर्ड फिल्मी पत्र-पत्रिका, आर्टिकल्स, न्यूज आदि को आधार बनाकर दर्ज किए गये थे , उनका कुछ प्रामाणिक और लिखित विवरण उपलब्ध नहीं थे । तब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की तरफ से लता मंगेशकर से उनके द्वारा गाए गए गानों के प्रमाण और तथ्य प्रस्तुत करने के लिए कहा गया , जिसे प्रस्तुत करने में वे असमर्थ रही । क्योंकि उनके पास उनके गाये गानों का कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं था । विवश होकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने 1991 के एडिशन में लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी दोनों का ही नाम हटा दिया । 1991 से 2010 तक ये केटेगरी खाली रही।

आपको जानकर अचरज होगा की आशा भोंसले को हमेशा से लगता था की उन्होने काफी अधिक गाने गाये हैं और वे गुपचुप तरीके से अपने गानों को संग्रहीत करने में लगी हुयी थीं, फलस्वरूप 2010 में उन्होने 1948 से 2010 तक उनके द्वारा गाए गए गानों का विवरण प्रमाणिक तथ्यों और लिखित विवरण के साथ पेश किया और बताया की 1948 से 2010 तक उन्होंने 20 विभिन्न भारतीय भाषाओं में 11000 से अधिक गाने गाए हैं , तब 2011 के एडिशन में आशा भोंसले का नाम विश्व में सबसे ज्यादा गाना गाने वाली गायिका के तौर पर गिनीज बुक में दर्ज किया गया। (वर्तमान में यह रिकॉर्ड दक्षिण भारत की मशहूर गायिका पी सुशीला के नाम है)

विशेष-

# वर्ष 1993 में कुमार सानु ने एक ही दिन में 28 गाने गाकर 1 दिन में सबसे ज्यादा गाना गाने का रिकॉर्ड बनाया था।

# सबसे ज्यादा गाना लिखने वाले गीतकार के तौर पर मशहूर गीतकार समीर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।

शनिवार, 7 नवंबर 2020

 

हिन्दी सिनेमा जिन्हे उनकी बेहतरीन अभिनय की वजह से जानती है और जिन्हे संजू बाबा, डेडली दत्त और मुन्ना भाई के रूप में पहचानती है। जो 1993 में हुए मुंबई बम ब्लास्ट की वजह से खासे चर्चा में रहे हैं।

पिता पूरी तरह अनुशासन प्रिय थे जबकि उन्हीं के बेटे संजू बचपन से जवानी तक काफी शरारती रहे हैं। यहां बताना आवश्यक है कि अपनी हिट फिल्म 'रॉकी' (1981 ) के रिलीज होने के पहले से ही वे ड्रग्स जैसे नशे के गुलाम हो गए थे। आलम ये था कि बिना नशा किए उन्हे नींद तक नहीं आती थी ।एक बार तो वे ड्रग्स के नशे में दो दिनों तक सोते रहा गए थे। बाद में अमेरिका में दो साल इलाज चलने के पश्चात वे ड्रग्स के चंगुल से निकल पाए। ठीक उसी प्रकार एक वक्त में अत्याधिक शराब पीने से उनकी जान तक जाने वाली थी, आज वे सब कुछ छोड़ चुके हैं और लोगों को नशा मुक्ति के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

इसी क्रम में संजय दत्त ने बतलाया, मुझे सिगरेट पीने की ऐसी लत लगी थी कि बिना पिए न किसी से ठीक से मिल पाता ना बोल पाता था। आदत से मजबूर संजय घर पर भी छुप-छुपकर सिगरेट पीते थे, ये सब सुनील दत्त साहब को पता नहीं था। ऐसे ही एक बार छिपकर बाथरूम में सिगरेट पीने के क्रम में अचानक से पिता सुनील दत्त ने देख लिया और उन्हें उनके इस व्यवहार के लिए उनकी जूते से पिटाई की।

संजय दत्त ग़ैर-क़ानूनी ढंग से हथियार रखने के मामले में जेल की सज़ा काट चुके हैं. जेल से लौटे संजय दत्त को ख़ुशी है कि फ़िल्म जगत के लोगों ने बुरे वक्त में उनका साथ दिया. इसका श्रेय वो अपने दिवंगत पिता सुनील दत्त के भले कामों देते हैं.

 वैसे तो हिंदी फ़िल्म जगत की हस्तियों के निजी जीवन को गहराई से जानें तो उनमे बदलाव ही बदलाव पाएंगे भले हीं ये बदलाव संयोग से हुए हों या परिस्थितिवश, पर निजी जीवन में ये बदलाव फ़िल्मी जगत के शायद ही किसी शख्श को छोड़ा हो ! पर हाँ , इन बदलावों से उन्हें प्रसिद्धि जरूर मिली है ,और हमें मिली है उनकी कला ! इसी बदलाव की कड़ी में नाम परिवर्तन ने उन्हें अलग पहचान भी दिलाई है , एक बात गौर करने वाली है कि फिल्म जगत में 90 प्रतिशत ने अपना नाम बदला है। आइये कुछ फनकारों के असल नाम पर गौर करें

साभार- https://rajkumarjeevan.blogspot.com/2015/01/all-that-changed.html

चर्चित नाम ****************** बचपन के नाम

हेमन्त कुमार (हेमन्त मुख़र्जी - हेमन्त कुमार मुखोपाध्याय

अशोक कुमार(दादा मुनि ) - कुमुदलाल कुंजीलाल गांगुली

गुरु दत्त - वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण

किशोर कुमार - आभास कुमार गांगुली

दिलीप कुमार - मुहम्मद युसुफ़ खान

राजेंद्र कुमार - राजेंद्र कुमार तुली

मोतीलाल - मोतीलाल राजवंश

मनोज कुमार - हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी

संजीव कुमार - हरीहर जेठालाल जरीवाल

अमिताभ बच्चन - इंकलाब श्रीवास्तव

सुनील दत्त - बलराज दत्त

राजेश खन्ना - जतिन अरोरा

राजकुमार - कुलभूषण पंडित

कुमार गौरव - मनोज तुली

अक्षय कुमार - राजीव हरी ओम भाटिया

जितेन्द्र - रवि कपूर

सनी देओल - अजय सिंह देओल

बॉबी देओल - विजय सिंह देओल

जॉनी लीवर - जॉन प्रकाश राव जनुमाला

मिथुन चक्रवर्ती - गौरांग चक्रवर्ती

सलमान खान(सल्लू) - अब्दुल रशीद सलीम

आमिर खान - आमिर हुसैन खान

अजय देवगन - विशाल देवगन

गोविंदा - गोविन्द अरुण आहूजा

चंकी पाण्डेय - सुयश

इरफान खान - शाहबजादे इरफान अली खान

अमरीश पुरी - अमरीश लाल सिंह पूरी

डैनी डेन्जोंगपा - त्शेरिंग फिंत्सो डेंज़ोंग्पा

प्राण - प्राणकृष्ण सिकंद

शक्ति कपूर - सुनील कपूर

अलोक नाथ - अलोक नाथ झा

असरानी - गोवर्धन असरानी

रजिनीकांत - शिवजी रो गायकवाड़

नाना पाटेकर - विश्वनाथ नाना पाटेकर

रवि किशन - रवि किशन शुक्ल

कुमार सानु - केदारनाथ भट्टाचार्य

अभिजीत - अभिजीत भट्टाचार्य

उदित नारायण - उदित नारायण झा

शान - शांतनु मुखर्जी

के के - कृष्णकुमार कुन्नथ

लकी अली - मक़सूद महमूद अली

मधुबाला - मुमताज़ बेग़म जहाँ देहलवी'

नर्गिस - फातिमा राशिद

शर्मीला टैगोर - बेगम आयेशा सुल्ताना

नूतन - समर्थ बहल

मीना कुमारी - महजबीन बानो

श्री देवी - श्री अम्मा यंगर

मीनाक्षी ‍शेषाद्रि - शशिकला शेषाद्रि

मंदाकिनी - यास्मिन जोसेफ

रेखा - रेखा गणेसन

काजोल - काजोल मुख़र्जी

राखी सावंत - नीरू भेदा

महिमा चौधरी - ऋतु चौधरी

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