मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

यूँ तो हिंदी में पार्श्वगायन करने वाले सभी गायकों ने कई अलग- अलग भाषाओं में  गायन किया है पर हिंदी के बाद अगर किसी भाषा में उनका भाषाई अपनत्व दिखा है तो वह है भोजपुरी ,और हो भी क्यों न ,भोजपुरी की सौंधी खूशबू उन्हें अपनी तरफ आकर्षित किये बिना नहीं रहती. तभी तो भोजपुरी में गायन कर इन्होने भोजपुरी की शान बढ़ाई है .
                                                                               भोजपुरी में गायन की  ललक आज की बात नहीं ये काफी पुरानी है - आप खुद इन  नये पुराने  गायकों सुन कर देख लीजिये -

मोहम्मद रफ़ी 1961 में आई फिल्म गंगा यमुना में भोजपुरी की महक लिए रफ़ी साहब का गाया ये गीत नैन लड़ जईहे त मनवा मा कसक होइबे करी अपने ज़माने में काफी लोकप्रिय रहा . असल में यह हिंदी फिल्म का गाना है मगर गीत के सारे भाव और शब्द भोजपुरिया संस्कृति हीं दर्शाते है .





उदित  नारायण  उदित नारायण का तो बचपन  ही भोजपुरी संस्कृति में रचा बसा  है फिर
इनके गाये भोजपुरी गानों का क्या कहना - भोजपुरी संस्कृति की  बखान करते हुए सैकड़ो  गाने आज भी हिंदी गानों की मिठास देते हैं . गोरी के गोरे गोरे गाल बिहार में धमाल करे (अलका याग्निक के संग ), कुछ बात बा ,ओढ़नी  के रंग  पियर जैसे  गाने एक -एक करके आते गए,आज उदित हिंदी से ज्यादा भोजपुरी के लिए व्यस्त हैं .




कुमार सानू    भोजपुरी में 1 हजार से भी अधिक गाने गा चुके कुमार सानु आज भी भोजपुरी में
गायन हेतु सक्रीय हैं -  शीशा के दिल बनल रहे तो  इतना चर्चित रहा की उस समय के हिंदी गानों की कड़ी में शीर्ष पर रहा . उड़े के बुलावे काहे तोहर अंचरवा ,केहु देख लिहि एतना सिंगार में , जेहनो गंगा  के पानी . मदहोश मोहबत मनवा में , गोरी रे गोरी, ऐसे लागल प्रीत , हम इन्तेजार करीले , जिंदगी आज हमसे खफा हो गईल , लागे ना मनवा हमार , कागज पर कबो धरती पर कबो , बेटी भइल परदेशी (विदाई ),  में हिंदी जैसी खनक हैं .  



कैलाश खेर    भोजपुरी में दर्द और जीवन की सच्चाई बयां करते इनके गाये गाने आज भी
                                         झकझोर देते हैं -  भोजपुरिया माटी के शान   जब समय होला कमजोर   , आदमी के लेला जिनिगिया इम्तेहान ,  चल चल रे बटोहिया भाई  ,धरती पुत्र धरती पुत्र , बालू से तेल निकल जाला..भरोसा न छोड़ राम के  , ममता माई के महान , दुनिया एगो बाग बगइचा नारी फूल सामान बा , ई दुनिया के का हो गईल बा ,अंखिया कमजोर करेला , राम करे केकरो न मिले , असंभव कुछो न बा संसार में , प्यार मोहबत इश्क़ गीत , रिश्ता बदल गईल रे भइया ,इ प्यार प्यार हवे-प्यार प्यार , पंछी तोहार नहीं इंहा बा ठिकाना, समय होत बलवान, छूट गईल आपन घर , ईश्वर के मर्जी के आगे ,
जैसे गाने काफी  लोकप्रिय हुए .

विनोद राठौड़     एक से बढ़कर एक रोमांटिक गानों के लिए प्रसिद्ध.
विस्फोट भइल बा छपरा में मोहब्बत के मौसम , लहंगा उठादेम रिमोट से , काका हमर विधायक हवे जैसे गानों के लिए भोजपुरी निर्माताओं की पहली पसंद .
इनके करियर के गानों की लिस्ट बनायीं जाये तो हिंदी जितना ही भोजपुरी मिलेगी, अभी भी भोजपुरी और हिंदी गायन में सक्रिय .
भोजपुरी सिनेमा की लोकप्रियता देखते हुए ऐसी आशा है की इस कड़ी में अन्य गायकों का नाम जुड़ता रहेगा .और भोजपुरी संगीत भी हिंदी की तरह  यादगार होगी .

बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

Did you know that? क्या आप जानते हैं ?

Posted by zindgi.com | 2:08 am Categories:
बांद्रा मुंबई स्थित महबूब रिकॉर्डिंग स्टूडियो में संगीतकार उषा खन्ना पिछले छः घंटे से गायक येशुदास का इंतजार किये जा रही थीं , साजन बिना सुहागन(1978) के "मधुबन खुशबू देता है " गाने की रिकॉर्डिंग होनी थी, अचानक से मूसलाधार बारिश होने लगी, जो रुकने का नाम नहीं ले  रही थी ,तेज बारिश और आँधी ने रिकॉर्डिंग टोली को मायूश कर यह मानने पर मजबूर कर दिया था की अब येशुदास  रिकॉर्डिंग के लिए नहीं आ सकेंगे ,तभी एक गाड़ी वहां आकर रुकी ,दरवाजा खुला अंदर से येशुदास जो पूरी तरह से भींगे हुए थे उतरे ,स्टूडियो में मौजूद सभी के चेहरे खिल उठे ,बिना देर किये और अपने तबियत की परवाह किये ,रिकॉर्डिंग की, और ऐसा गाया ,की इंतजार के वो पल जो मायूशी में  गुजरे थे ,याद नहीं रहे !


प्रसिद्ध संगीतकार नौशाद (25 दिसम्बर 1919)मात्र 17 साल की उम्र में ही मुंबई संगीतकार बनने ,घरवालों को बिना बताये आ गए थे ,ये वो दौर था जब फिल्म या इससे जुड़े क्षेत्रों में जाने वालों को अच्छा नहीं समझा जाता था , इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की जब घरवालों ने इनकी शादी तय की तो नौशाद से यह कहा की वधूपक्ष वालों को उन्होंने यह कहा है की लड़का दर्जी है और मुंबई में सिलाई का काम करता है ,और उनसे पूछे जाने पर उन्हें भी यहीं बताना है , इस तरह हुयी इनकी शादी !


जावेद अख्तर का नाम आते हीं प्रसिद्ध गीतकार के रूप में बनी इनकी छबि जेहन में कौंध जाती है ,पर जावेद साहब गीतकार बनने से पहले फिल्मों की कहानियां लिखते थे ,पर इनका नाम परदे पर नहीं आता था ,ये फिर भी खुश थे ! बाद में  उनकी जोड़ी सलमान के पिता और इनके दोस्त सलीम खान के साथ सलीम-जावेद के रूप में बन गयी ! अमिताभ अभिनीत जंजीर की कहानी भी इसी जोड़ी ने लिखी और अमिताभ बच्चन के साथ-साथ इस जोड़ी का नाम प्रसिद्ध हो गया !
                  जावेद साहब उस वक्त भी शायरी करते थे पर उनकी शायरी उनकी डायरी तक हीं सिमित थी ,जब यश चोपड़ा ने फिल्म -सिलसिला  बनाना शुरू किया ,तो किसी दोस्त के कहने पर जावेद को अपने बंगले पर बुलाकर कहा की आप कहानी के साथ -साथ अच्छी शायरी भी लिखते हैं ,मैं चाहता हूँ की" सिलसिला "के गीत आप हीं लिखें , और हाँ इस फिल्म से शिव-हरी की संगीत जोड़ी (शिव शर्मा और हरिप्रसाद चौरसिया) भी पहली बार संगीत क्षेत्र में कदम रख रहे हैं !
        अगले दिन "देखा एक ख्वाब तो ‍ये सिलसिले हुए' "रिकॉर्ड हुआ, फिर उसके अगले दिन  'नीला आसमा सो गया..! इस तरह जावेद अख्तर कहानीकार के साथ-साथ गीतकार भी बन गए,और जो शायरी उनके डायरी में कैद थे फिल्मों के माध्यम से सामने आ गए !


मन्नाडे से जुड़ी दो रोचक घटनाएं  उनके लिए हमेशा यादगार रहीं - एकबार जब फिल्म ' बसंत बहार(1956)" के "केतकी गुलाब जूही चम्पक बन फुले " गाने के लिए उन्हें शास्त्रीय संगीत के महान गायक भीमशेन जोशी को गायन में कमतर साबित करने के लिए गाने को कहा गया ,दरअशल फिल्म में नायक को गायन में जीतते हुए दिखाना था ,और गायक की आवाज़ के लिए मन्नाडे को चुना गया था !तब मन्नाडे ने मन हीं मन योजना बनायीं थी की अगले दिन से  हीं वे बिना बताये पुणे चले जायेंगे और किसी को पता भी नहीं चलेगा की मन्नाडे कहाँ गायब हो गए ,और गाने की रिकॉर्डिंग किसी अन्य गायक से करा ली जाएगी !
 इसी तरह फिल्म पड़ोसन(1968) के " एक चतुर नार कर के सिंगार" गाने के लिए उन्हें किशोर कुमार से हार  जाने को कहा गया , तब फिल्म के निर्माता और निर्देशक अभिनेता महमूद ने दादा को समझाते हुए कहा था की दादा ये आप और मैं हीं नहीं सभी जानते हैं की आपको वास्तविक जीवन में नहीं फिल्म में नायक से हारना है ! हालाँकि किशोर द्वारा बनाये उस गाने के संगीत में सरगम और तान का वास्तविक संगीत से कोई लेना देना नहीं था !

संगीतकार मदन मोहन (ग़ज़ल विशेषज्ञ ) से जुड़ी ये दिलचस्प वाक्या गीतकार नक़्श लायलपुरी के लिए
हमेशा यादगार रही ,मदन मोहन नक़्श लायलपुरी के शायरी के बड़े प्रशंसक थे ,फिल्म "दिल की राहें" के लिए जब उन्हें संगीत बनाने की जिम्मेवारी सौपीं गयी तो उन्होंने फिल्म के गीत लिखने के लिए नक़्श लायलपुरी का नाम सुझाया ,नक़्श साहब ने तीन गाने लिख भी डाले और वे रिकॉर्ड भी हो गए मगर अभी तक उन्हें उनका मेहनताना (रकम ) नहीं मिला था इसकी भनक मदन मोहन जी को लगी तो उन्होंने निर्माता को डांट लगायी, नक़्श को उनकी फ़ीस तो मिल गयी मगर इस बात से खफा होकर निर्माता ने नक़्श साहब को ये कह कर अगला गाना लिखने से मना कर दिया की उनके अब बदले शेष  गाने दूसरे गीतकार से लिखवाये जायेंगे आप अब फिल्म के अन्य गाने नहीं लिखें ,जब इस बात की खबर मदन मोहन जी को हुयी तो वे अड़ गए की अगर नक़्श अगर इस फिल्म के अन्य गाने नहीं लिखेंगे तो वे भी अन्य गानों के संगीत नहीं बनाएंगे ,तब निर्माता को विवश होकर इन लोगों से माफ़ी मांगनी पड़ी ! समुद्र के किनारे दोपहर तक बैठ कर नक़्श ने  गाना लिखा  शाम तक लता की आवाज़ में रिकॉर्ड भी हो गया और जो गीत बना वो था  - "रस्में उल्फत को निभाए तो निभाए  कैसे "

       
 जिस समय नुसरत फ़तेह अली ख़ान का नाम दुनिया में सिर चढ़ कर बोल रहा था उस समय उनके भतीजे राहत फ़तेह अली ख़ान उनसे गायन की बारीकियां सीख रहे थे.जब भी नुसरत कहीं भी प्रोग्राम पेश करते तो राहत का काम सिर्फ़ अलाप देना होता था.राहत फ़तेह अली ख़ान बताते हैं कि स्टेज पर तो उन्हें डाँट पड़ती ही रहती थी.खाने के बेहद शौक़ीन नुसरत फ़तेह अली ख़ान ने जी भरकर खाया और जी भरकर गाया. और अपने गाने के अंदाज दे गए अपने भतीजे राहत फतेह अली खान को .

शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

अपने मिठास से आनंदित करने के लिए पुरे विश्व में मशहूर हिंदी फिल्म संगीत के कई  दौर आये और गये ,पर  उन गानों से  भारतीय संस्कृति गयी न ही  निर्मलता ! जैसे -जैसे हम आधुनिक होते गये हमारे गाने और सुनने के नजरिये में भी बदलाव होते गये , पिछले कुछेक वर्षों तक तो सब कुछ  ठीक था , पर इन दिनों जहाँ तकनीक और  डिजिटल संचार ने सभी को अपनी चपेट में कर लिया है ,विदेशी गानों को देखते देखते हम खूद की  शैली को भूलकर दूसरे की नक़ल करने पर उतारू हैं ,और ये भूल गये हैं की  विदेशी गाने देखने के लिए हैं सुनने के लिए नहीं  जबकि हिंदी संगीत आज भी अपनी कर्णपिर्यता के लिए विश्व के सामने मिशाल है ! 
                 फिर हिंदी सिनेमा जगत में अपनी धाक ज़माने वाले गीतकार, संगीतकार,गायकों और नायकों को क्या हो गया है  जिन्हे इन्ही अश्लीलताओं में श्रोता की पसंद नजर आती है !

                     आइये हिंदी फिल्म संगीत के नए संस्कार पैदा करने वाले युग के कुछ गानों पर नजर डालते हैं- जहाँ हन्नी सिंह जैसे गायक , गीतकार या संगीतकार पद्मश्री  की दौड़ में हैं ! 

सन 2013  में आई अक्षय कुमार अभिनीत बॉस  का ये गाना - पार्टी ऑल नाईट -आज बोतला खुल्लन दो ,दारू -सारू धुल्लन दो ,विस्की दा पैक लगाके ,सारी दुनिया भुल्लन दो ........दम है तो बंद करवालो ! 

सन 2011 में आई फालतू फिल्म का मीका का गाया  ये फालतू गाना  आलतू जलाल तू ,आई बाला को टाल तू,टेंसन -वेन्सन छोड़ दे बच्चा बन जा फुल्ली फालतू    

आर .राजकुमार (2013 ) का ये गाना - बीड़ी पीके नुक्कड़ पे ....अब करूँगा गन्दी बात !

रागनी एमएमएस- 2 (2014 ) का - चार बोतल वोडका (शराब ) - काम मेरा रोज का ,मैं रहूँ सारी रात ....दारू पियूं लगातार..एक अध बोतल सब पीते हैं  ,मैं तो पियूं बोतल चार  

तेवर (अर्जुन कपूर अभिनीत-2014 ) का  ये सुपरमैन वाला गाना -एक बात बतादूं आपसे ,नहीं डरता किसी के बाप से ,जा    मेरे नाम का बिल फाड़ ले ,जो उखाड़ना है उखाड़ ले -मैं तो सुपर मैन सलमान का फैन ,जो लेवे पंगा कर दूँ माँ बहन !

गुरुवार, 29 जनवरी 2015

व्हाट्स एप्प या फेसबुक मैसेंजर ,इंस्टाग्राम, किक(पिंट्रेस्ट),टवीटर,  वी चैट, न्यूज़ हंट, जॉब बॉन्ग, लाइन एक्शन, एडवेंचर,किड,कैज़ुअल,रेसिंग गेम्स या फिर याहू मैसेंजर जैसे एप्प के साथ अन्य मनपसंद एप्प को पीसी (win-7,8,10,Xp,Wista,Mac OS) पर इनस्टॉल कर चलाने के लिए हमें जरुरत होगी ब्लूस्टैक्स एप्प प्लेयर की !
                                                          
  ब्लूस्टैक्स एप्प प्लेयर लगभग-300 MB की फाइल डाउनलोड कर पीसी पर इनस्टॉल करें, (हालाँकि इसे इनस्टॉल करने के लिए नेट फ्रेमवर्क 4.6  का रहना बेहद जरुरी है ,कंप्यूटर में  इनस्टॉल नहीं रहने पर इसे स्वतः इनस्टॉल करता है ) इनस्टॉल होने के बाद डेस्कटॉप पर बने शॉर्टकट आइकॉन को क्लिक करें ब्लूस्टैक्स खोलें,

अगर यहाँ व्हाट्सएप्प ,टवीटर,  फेसबुक मैसेंजर आदि का आइकॉन दिख रहा हो तो  ठीक है नहीं तो सर्च पर क्लिक कर व्हाट्स एप्प या जो एप्प चलाना हो उसे खोजें, जिस  तरह मोबाइल पर गूगल प्ले स्टोर से एप्प ढूंढते है,परीणाम सामने आते हीं उस एप्प को इनस्टॉल करें, जैसे व्हाट्स एप्प को खोजने के बाद सबसे ऊपर  हीं व्हाट्स एप्प दीखता है उस पर क्लिक कर इनस्टॉल पर क्लिक करें ,व्हाट्स एप्प इनस्टॉल होकर उपयोग के लिए  तैयार हो जायेगा !
जब यह पीसी पर पहली बार खुलेगा तो नियम एवं शर्तों को स्वीकारने के के लिए पूछेगा ,सहमत होकर आगे बढ़ें,आगे आपसे आपका देश चुनकर जिस मोबाइल नम्बर पर व्हाट्स एप्प चलाने हैं पूछेगा,डालकर ओके करें, तत्काल व्हाट्स एप्प मैसेंजर की तरफ से एक वेरिफिकेशन सन्देश उस नम्बर पर चला जायेगा,इसमें थोड़ा समय भी लग सकता है या ऐसा भी हो सकता है की आपको ये लिखा हुआ दिखे की वेरिफिकेशन असफल (fail ),और इसके लिए दुबारा प्रयास करना पड़े,हालाँकि  यहाँ से वॉयस वेरिफिकेशन की भी सुबिधा है ,दोनों में से जिस माध्यम से कोड प्राप्त हो जाये डालकर कन्फर्म कर दें ,बस आपके  प्रोफाइल  के बारे में कुछ जानकारी मांगी जाएगी ,अपना नाम और अपनी फोटो आदि सेट कर लगातार (Continue)दबा दें ,आगे अगर आप नए उपभोक्ता हैं तो दोस्तों के कांटेक्ट उनके विवरण के साथ ऊपर दाहिनी तरफ दिख रहे  मेनू से कॉन्टैक्ट्स को क्लिक कर नया कांटेक्ट  जोड़ लें या पुराने उपभोक्ता हैं तो ग्रुप का उपयोग कर सकते हैं, अब जिस कांटेक्ट को सन्देश भेजना चाहें उसे भेज सकते हैं !
 
यहाँ लिखें ,पिक्चर,वीडियो या वॉयस तैयार करें या फिर अटैच का उपयोग कर मनपसंद सामग्री जोड़े !
इसी तरह ब्लूस्टैक्स एप्प प्लेयर से अन्य पसंदीदा एप्प को खोज एवं इनस्टॉल कर उपयोग किया जा सकता है !

सोमवार, 26 जनवरी 2015

वैसे तो हिंदी फ़िल्म जगत की हस्तियों के निजी जीवन को गहराई से जानें तो उनमे बदलाव ही बदलाव पाएंगे भले हीं ये बदलाव  संयोग से हुए हों या परिस्थितिवश, पर निजी जीवन में ये बदलाव फ़िल्मी जगत के शायद ही किसी शख्श को छोड़ा  हो ! पर हाँ , इन बदलावों से उन्हें प्रसिद्धि जरूर मिली है ,और हमें  मिली है उनकी कला ! इसी बदलाव की कड़ी में नाम परिवर्तन ने उन्हें अलग पहचान भी दिलाई है ,क्योंकि शायद जो चेहरा इनके नाम की चर्चा होने पर मानष पटल पर घूम  जाता है इनके बचपन के मूल नाम के साथ उन्ही सम्मान वाले भाव में जुड़ने में असमर्थ पाता है !
                     जब पूरी की पूरी हिंदी सिनेमा मंडली के नाम बदले हुए पता चले तो अनायास ही जुबां से निकल जाता है -सभी बदले हुए हैं ...............नाम !
                                   आइये कुछ फनकारों के असल नाम पर गौर करें

   चर्चित  नाम                        बचपन के असल नाम 


 हेमन्त कुमार (हेमन्त मुख़र्जी )                  -                      हेमन्त कुमार  मुखोपाध्याय
अशोक कुमार(दादा मुनि )                     -                      कुमुदलाल कुंजीलाल गांगुली
गुरु  दत्त                                               -                       वसंत  कुमार  शिवशंकर  पादुकोण
किशोर कुमार                                       -                      आभास कुमार गांगुली
दिलीप कुमार                                        -                      मुहम्मद युसुफ़ खान
राजेंद्र कुमार                                         -                      राजेंद्र कुमार   तुली
मोतीलाल                                              -                      मोतीलाल   राजवंश
मनोज  कुमार                                        -                     हरिकृष्ण  गिरी  गोस्वामी 
संजीव कुमार                                         -                      हरीहर जेठालाल जरीवाल
अमिताभ बच्चन                                    -                     इंकलाब श्रीवास्तव
सुनील दत्त                                             -                      बलराज दत्त
राजेश खन्ना                                         -                      जतिन अरोरा
राजकुमार                                             -                      कुलभूषण पंडित
कुमार गौरव                                          -                       मनोज तुली            
अक्षय कुमार                                         -                      राजीव हरी ओम भाटिया
जितेन्द्र                                                  -                      रवि कपूर
सनी देओल                                            -                      अजय सिंह देओल
बॉबी देओल                                           -                      विजय सिंह देओल
जॉनी लीवर                                           -                      जॉन प्रकाश राव जनुमाला
मिथुन चक्रवर्ती                                      -                      गौरांग चक्रवर्ती
सलमान खान(सल्लू)                              -                     अब्दुल रशीद सलीम
आमिर खान                                          -                     आमिर हुसैन खान
अजय देवगन                                        -                      विशाल देवगन
गोविंदा                                                 -                      गोविन्द  अरुण  आहूजा
चंकी  पाण्डेय                                        -                     सुयश
इरफान खान                                         -                     शाहबजादे इरफान अली खान
अमरीश  पुरी                                         -                     अमरीश  लाल सिंह पूरी 
डैनी डेन्जोंगपा                                       -                     त्शेरिंग फिंत्सो डेंज़ोंग्पा
 प्राण                                                    -                       प्राणकृष्ण सिकंद
शक्ति कपूर                                             -                     सुनील कपूर
अलोक  नाथ                                          -                    अलोक  नाथ  झा
असरानी                                                -                     गोवर्धन  असरानी
रजिनीकांत                                            -                      शिवजी  रो   गायकवाड़
नाना पाटेकर                                          -                      विश्वनाथ  नाना पाटेकर
रवि किशन                                             -                      रवि  किशन  शुक्ल

कुमार सानु                                             -                      केदारनाथ भट्टाचार्य
अभिजीत                                                -                     अभिजीत  भट्टाचार्य
उदित नारायण                                        -                     उदित नारायण झा 
शान                                                       -                      शांतनु मुखर्जी
के के                                                      -                      कृष्णकुमार  कुन्नथ
लकी  अली                                             -                       मक़सूद महमूद अली


मधुबाला                                                  -                  मुमताज़ बेग़म जहाँ देहलवी'
नर्गिस                                                      -                  फातिमा राशिद
शर्मीला  टैगोर                                           -                 बेगम  आयेशा  सुल्ताना
नूतन                                                        -                  समर्थ  बहल
मीना कुमारी                                             -                   महजबीन बानो  
श्री  देवी                                                    -                  श्री अम्मा  यंगर
मीनाक्षी ‍शेषाद्रि                                        -                  शशिकला शेषाद्रि
मंदाकिनी                                                 -                  यास्मिन जोसेफ
रेखा                                                         -                   रेखा  गणेसन
काजोल                                                    -                   काजोल मुख़र्जी                                       
राखी सावंत                                              -                   नीरू भेदा
महिमा चौधरी                                           -                  ऋतु चौधरी











रविवार, 25 जनवरी 2015

आपने कभी ध्यान दिया है ?  किसी भी अल्बम या फिल्म  का कोई  भी होली गीत  रीलिज के समय जितना भी चर्चित रहे पर होली गीत होने के चलते उन्हें  होली विशेष के लिए समान्य फ़िल्मी गानों से अलग छांट दिया जाता है होली  के अवसर पर हीं याद किया जाता है ,पर एक ऐसा गाना भी है जो बिन मौसम बरसात की हकीकत दुहराता है और अन्य सामान्य गीतों की तरह ऐसी वेफिक्री से बजता है की हमें अहसास तक नहीं होता की यह एक होली गीत है, खासकर शादियों और  पार्टियों की शान  बनने वाला ये होली गीत डीजे धुनों पर खुद को होली गीतों की श्रेणी से बहार निकालने  में कामयाब हो जाता है !

बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी  फिल्म  "ये जवानी है दीवानी" (2014) का यह गीत विशाल  ददलानी ,शाल्मली खोलगडे जिन्होंने इसे  गाया ,संगीतकार प्रीतम और गीतकार अमिताभ  भट्टाचार्य के  लिए  भी  विशेष  है !
याद कीजिये आपने इस गाने के बहाने कितनी मस्ती की  है !
     

शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

किसी भी वस्तु के प्रति विश्वास  किसी कारण का मोहताज नहीं , हमारी  नजरों में संयोग मात्र लगने वाले ये  विश्वास किसी न किसी रूप में स्वाभाविक तौर पर मान्य हैं !भले ही हम उसे संयोग मानकर अनदेखा कर दें ,पर किसी-किसी को  विश्वास पर इतना विश्वास है की कोई लाख समझाए उसका विश्वास कभी कम नहीं होता और अगर मान भी जाये तो  खुद को ठगा हुआ महसूस करता है फिर विश्वास पर विश्वास करने  पर विवस हो जाता है !
                                         एक नजर इन अक्षर विश्वासी पर डाल कर देख लें,खूद विश्वास करने लगेंगे !
                                            जे ओम प्रकाश 
                       "अ" अक्षर के प्रति विश्वास 
जन्म: 24 जनवरी, 1927,हिंदी फ़िल्मी जगत में चर्चित निर्देशक  के रूप में पहचान,अभिनेता ऋतिक रोशन के नाना जी !
किशोर कुमार को निर्देशित करते हुए  (1959) चाचा ज़िन्दाबाद से फ़िल्म  निर्देशन  सफर की शुरुआत और  खूद के बैनर फ़िल्मी युग के निर्माण के बाद एक के बाद एक बेहतरीन फिल्मे दीं - प की कसम(1974 ),क्रमण (1975),    शिक हूँ बहारों का (1977) ,  पनापन (1977) , स पास (1981 ), पना बना लो (1982), र्पण (1983), खिर क्यों?(1985) , प के साथ(1986) ,  भगवान दादा (1986) में "अ" से मोह हटाकर  जोखिम उठाया फिल्म बुरी तरह असफल हो गयी,फिर अपनी राह पर आ गए !  ग्नि(1988),  दमी और प्सरा(1991),  दमी खिलौना है(1993)
                                         

                      करण जौहर  
                               "क " अक्षर के प्रति विश्वास
जन्म: 25 मई, 1975 फिल्म निर्माण,निर्देशन,कॉस्ट्यूम डिजायनिंग,होस्टिंग जैसे कार्य के लिए प्रसिद्ध ! धर्मा प्रोडक्शन्स के मालिक , मित्र आदित्य चोपड़ा की फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे से कॉस्ट्यूम डिजायनिंग के तौर पर  सामने आये ,अंकज्योतिषी में विश्वास,हालाँकि लगे रहो मुन्नाभाई (2006) की सफलता ने उन्हें इस विश्वास से बाहर निकलने पर मजबूर किया !
बतौर निर्देशक-  कुछ कुछ होता है (1998 निर्माता भी  ), भी खुशी कभी ग़म(2001निर्माता भी ) ,
बतौर निर्माता-   भी अलविदा न कहना (2006 निर्देशक  भी  ) , कुची कुची होता है (2009 ) , ल हो ना हो' (2003),  'काल'(2005).



                                           राज कपूर   
                                 "र " अक्षर की  परम्परा      
अपने नाम के शुरूआती अक्षर " र" से प्रेम की परम्परा हीं है की राज कपूर के  कपूर परिवार  के सभी सदस्यों का नाम" र" से ही शुरू होता है-
राज कपूर-
णधीर कपूर,  Ritu (ऋतू )नंदा,   Rishi (ऋषि )कपूर , राजीव कपूर,  रीमा जैन ,  (राज कपूर की संतान)
रिद्धिमा  कपूर ,णवीर कपूर   (ऋषि )कपूर की संतान)  
           


  अमिताभ बच्चन    
                            "अ " अक्षर की  परम्परा की शुरुआत   
         अमिताभ बच्चन , भिषेक बच्चन , राध्या                                                  

सोमवार, 19 जनवरी 2015

aaaaइंटरनेट से किसी भी बड़ी फाइल या एक साथ कई फाइलों को डाउनलोड करनी हो तो डाउनलोड मैनेजर डाउनलोड को काफी सहज बना देते हैं, और फाइल डाउनलोड करना हमारे लिए चुटकियों का खेल बन जाता है ! आपने इंटरनेट डाउनलोड मैनेजर या अन्य डाउनलोड टूल्स या सॉफ्टवेयर डाउनलोडर आजमाया ही होगा, इसी तरह का बेहतर डाउनलोड मैनेजर है ईगलगेट !

eagal gate

EagleGet उपलब्ध है अपने नए अवतार में, जहाँ से इसका v2.0.2.8 Stable वर्जन (मात्र 5.6MB) को डाउनलोड कर इसकी बेहतरीन खूबियों को परखा एवं संतुष्ट  हुआ जा सकता है !

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newआइये इसकी खूबियों पर डालें एक नजर - 

किसी भी ब्राउज़र के साथ आसानी से जुड़ जाता है !
extanसमय प्रबंधन कर देने के बाद स्वतः नियोजित समय पर डाउनलोड के लिए डाली गयी लिंक से डाउनलोड करने लगता है,जिससे नेट की धीमी रफ़्तार से होने वाली समय की बर्बादी से मुक्ति मिलती है !
queconfi

किसी भी डाउनलोड लिंक पर राइट क्लिक होते हीं यह डाउनलोड के लिए तैयार मिलता है !
स्वतः रिज्यूम करने की सुबिधा !
सबसे अच्छी बात ,यह यू ट्यूब से सभी तरह  के फॉर्मेटों में (Video Sniffer /Media Grabber सुबिधा द्वारा) वीडियो भी डाउनलोड करता है ! 
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