शैलेन्द्र सिंह की तरह ही गुमनामी में खोये, गायक जसपाल सिंह ने हिंदी फिल्मों में ढेरों सुरीले और ताजगी से भरे गीत गाये हैं ,गीतों के रीमिक्स,गजल,भजन और पारम्परिक शास्त्रीय गीतों से देश विदेश में अपनी प्रस्तुति देकर मन मोहने वाले जसपाल सिंह जाने कहाँ गुम हो गए है ,यहाँ तक की इंटरनेट पर भी उनके बारे में कुछ भी जानकारी नहीं मिलती .
“गीत गाता चल” से दिलों में बसने वाले जसपाल भले ही आज गायकी की दुनिया में गुमनाम हों पर इनके इन बेहतरीन गानों को सुनकर आप भी इनके बारे में जानने को बेताब हो जायेंगे .
गीत गाता चल (1975)का शीर्षक गीत-
गीत गाता चल ओ साथी गुनगुनाता चल
या
धरती मेरी माता पिता आसमान या
मंगल भवन अमंगल हारी या फिर
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
श्याम तेरे कितने नाम - (1977) का काफी मधुर गाना इस गीत की एक और खूबी जिसे शायद आपने मह्शूश न किया हो इस गीत में हिन्दी विशिष्ट शब्दों का अधिकतम उपयोग हुआ है ,पवित्रता लिये हुए शब्दों में मादकता भी है . आप सोचेंगे मादकता भी पवित्र हो सकती है और अश्लील हुए बिना भी अपने मन की बात बेहद उत्तेजक शब्दों में कही जा सकती है, अरे हाँ ,इसे सुन कर देख लीजिये -
जब जब तू मेरे सामने आये इसी फिल्म के अन्य गाने
जमुना किनारे बजे श्याम की बाँसुरिया साथी रे कभी अपना साथ न छूटे
नदिया के पार - (1982 ) के सम्पूर्ण गाने इनके और हेमलता की आवाज में हैं, हेमलता संग इनके ज्यादातर गाने हैं
और सचिन पर फिल्माए जाने के बाद वे गीत तनिक भी नहीं लगे
की इसे सचिन ने नहीं किसी अन्य गायक ने गाया है
सावन को आने दो - (1979) का
शीर्षक गीत या फिर
ज्ञान ये समझे या ओ साथी दुःख में ही सुख है छिपा रे
अँखियों के झरोखों से - (1978) का ये दोहावली -
बड़े बड़ाई ना करे बड़े ना बोले बोल
मज़दूर ज़िंदाबाद (1976) का
यह आज का भारत है
लड़के बाप से बड़के (1979) का देखो जानी दुश्मन
पायल की झंकार का(1980)- जिंख़ोजा तीन पाइयाँ गहरे पानी पैठ
संत रविदास की अमर कहानी (1983)का जब तक है आकाश पे सूरज
एक गांव की कहानी (1975) का जय महा काली
प्यार के राही (1982) का
हम तुम प्यार के राही
डाकू और महात्मा (1977 ) का हंसती आँखों को
पत्थर (1985) का आज की ताज़ा खबर
षड़यंत्र (1990) का होली आई होली
चोरों की बारात (1980) का शीर्षक गीत - चोरों की बारात
खंजर (1980) का तुम मेरी ज़िन्दगी हो सजनी
गोपाल कृष्णा (1979)का आयो फागुन हठीलो
अमृत (1986) का
शराफत अली को शराफत ने मारा
एजेंट विनोद (1977)का हम तो निकले राम भरोसे
करवा चौथ(1978) का - बस एक यही वरदान आज हम मांग रहे करतार से
ज़िद (1976)का तेरी पलकों के तले या रंग लेके दीवाने आ गाये रंगों में
तुलसी(1985) का जाने क्या है ,
जनम जनम का तुम संग नाता , भइया मेरे फौजी रे
ऑल राउंडर (1984) का
ओ रे बबुआ आदि .
वेब म्यूजिक से प्राप्त mp3 गानों के लिंक वैसे तो फलैश प्लेयर में सीधे बजते हैं, पर इन लिंकों को कॉपी कर ईगलगेट से डाउनलोड भी किया जा सकता है ये सभी गाने यू -ट्यूब पर भी उपलब्ध हैं