शनिवार, 7 नवंबर 2020

 एक अमीर घराने की लड़की और गरीब लड़के के बीच प्यार को जिस प्रकार फिल्मों में दिखलाया जाता है उसी तरह की कहानी है इन दोनों की ।

24 साल के अब्दुल करीम को 1887 में आगरा से ब्रिटेन (लंदन ) महारानी का सेवक (टेबल वेटर ) बनाकर भेजा गया था, इससे पहले अब्दुल करीम और उनके पिता आगरा जेल में काम करते थे जहां अब्दुल को एक साल के 60 रुपए मिलते थे । इस बीच जब महारानी के खासदारों आगरा जेल का दौरा किया तो महारानी को खुश करने के लिए उपहार स्वरूप दो नौकरों को उनके साथ भेजा गया जिनमे एक अब्दुल करीम भी थे ।

लंबे कद और खूबसूरत व्यक्तित्व के धनी अब्दुल करीम के व्यवहार ने रानी को इतना प्रभावित किया की वो उनके करीब आती गईं. बाद में अब्दुल करीम के नाम के आगे मुंशी जुड़ गया. वह महारानी के भारत सचिव बन गए. जब रानी को अब्दुल से प्रेम हुआ उनकी उम्र 60 वर्ष थी. अलग-अलग भाषा सीखने की जुनूनी रानी ने इन्हे दरबार में शिक्षक का दर्जा दे भी दिला दिया और उन्हें निर्देश दिया गया कि वो महारानी को हिंदी और उर्दू सिखाएं.

महारानी अक्सर अपने दिल की बातें उन्हें खत में लिखती थीं.तो उसके अंत में ‘तुम्हारी प्रिय मां’ और ‘तुम्हारी सबसे करीबी दोस्त’ लिखती थीं। कभी-कभी तो महारानी अपने पत्रों में चुंबन के प्रतीक भी बनाती थी, जो उस समय में बेहद असाधारण बात थी. दोनों के बीच का रिश्ता काफ़ी भावुक था जिसका विभिन्न स्तर पर वर्णन किया जा सकता है.ये रिश्ता एक जवान भारतीय आदमी और एक 60 वर्षीय महिला के बीच का एक रिश्ता था, या फिर कहें कि ये एक मां और बेटे के बीच जैसा रिश्ता था।


 खामोश ...। शत्रुघ्न सिन्हा कोई पार्श्वगायक नहीं हैं, हाँ कुछ गानों में उनकी आवाज का इस्तेमाल जरूर किया गया है ,ठीक वैसे ही जैसे अमिताभ बच्चन, अजय देवगन या सुरेश ओबेरॉय आदि ने किया है । कुछ गानों की झलक यहाँ दी गयी हैं :-

*शबाबो हुस्न का शोला सा एक लहराया है... हाय ।हाय.. हाय मार डाला (अलीबाबा मरजीना)

*एक बात सुनी है चाचा जी .... तेरी चाची बुलडोजर आने वाली है ( नरम गरम )

*ऐसी वैसी ना समझ सजना ....... शेर- वो-संवाद (जानी दुश्मन ).(मुख्य गायिका आशा भोंशले )

 

सबसे पहले तो हम आपको ये बता दे कि जिस एक्टर की आवाज सुन कर ही लोग उनके दीवाने हो जाते थे, उसी एक्टर को गले का कैंसर हो गया था। गले के कैंसर के कारण राजकुमार जी की तबियत इतनी ज्यादा खराब रहने लगी कि उन्हें अपना मरना निश्चित लग रहा था। हालांकि अंत तक उन्होने अपनी बीमारी को छुपा कर रखा, शायद इसी वजह से जब उन्हे लगने लगा की अब वे जिंदा नहीं रह पाएंगे, तो उन्होने अपने बेटे से अपनी मौत की खबर मीडिया से छुपा कर रखने की बात कही थी ।

आरंभिक और बाद की फिल्मों में बोलने के अंदाज पर गौर करें तो यकीनन आपको फर्क महसूस होगा जब उन्हे कैंसर हो गया था। तेज या जल्दी जल्दी बोलने से इनकी तकलीफ अक्सर बढ़ जाया करती थी इसलिए डॉक्टर द्वारा इन्हे ज्यादा ज़ोर से नहीं बोलने की हिदायत थी, फलस्वरूप उन्होने इसपर अमल करना शुरू किया जिसका असर इनके डायलॉग में भी साफ साफ दिखता है। हालांकि यही मजबूरी इनकी सबसे बड़ी खूबी साबित हुई.

इनके डायलॉग कि कुछ बानगी यहां देखिए:

  1. जानी.. हम तुम्हे मारेंगे, और ज़रूर मारेंगे.. लेकिन.. ,वो बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वक़्त.. भी हमारा होगा.
  2. हम वो कलेक्टर नहीं जिनका फूंक मारकर तबादला किया जा सकता है. कलेक्टरी तो हम शौक़ से करते हैं, रोज़ी-रोटी के लिए नहीं. दिल्ली तक बात मशहूर है कि राजपाल चौहान के हाथ में तंबाकू का पाइप और जेब में इस्तीफा रहता है.
  3. शेर को सांप और बिच्छू काटा नहीं करते..
    दूर ही दूर से रेंगते हुए निकल जाते हैं.
  4. इस दुनिया में तुम पहले और आखिरी बदनसीब कमीने होगे, जिसकी ना तो अर्थी उठेगी और ना किसी कंधे का सहारा. सीधे चिता जलेगी.
  5. अपना तो उसूल है. पहले मुलाकात, फिर बात, और फिर अगर जरूरत पड़े तो लात.
  6. बोटियां नोचने वाला गीदड़, गला फाड़ने से शेर नहीं बन जाता.
  7. . ये बच्चों के खेलने की चीज़ नहीं,
    हाथ कट जाए तो ख़ून निकल आता है.
  8. ना तलवार की धार से, ना गोलियों की बौछार से.. बंदा डरता है तो सिर्फ परवर दिगार से.
  9. महा सिंह, शेर की खाल पहनकर आज तक कोई आदमी शेर नहीं बन सका.
    और बहुत ही जल्द हम तुम्हारी ये शेर की खाल उतरवा लेंगे
  10. हम आंखों से सुरमा नहीं चुराते, हम आंखें ही चुरा लेते हैं.


पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को रावलपिंडी की जेल में फौजी हुकूमत ने फांसी के फंदे पर लटका दिया था। जुल्फ़ीकार अली भुट्टो को मौत के बाद भी अपमान से गुज़रना पड़ा था, दरअसल भुट्टो पर सच्चा मुसलमान नहीं होने का इल्जाम था। एक और चीज थी, जो भुट्टो के खिलाफ थी ,भुट्टो शहरी परिवेश मे मुंबई में पले-बढ़े. फिर अमेरिका चले गए. वहीं से कॉलेज की पढ़ाई हुई. इस वजह से उर्दू भी कमजोर थी और अँग्रेजी इनकी मुख्य भाषा बन गयी थी । फिर उनकी मां शादी के पहले तक हिंदू रहीं . नाचना -गाना ही उनका मुख्य पेशा रहा ।इसलिए विरोधी यही कहते कि भुट्टो में इस्लामिक तहजीब नहीं है. और वे पक्के मुसलमान नहीं हैं. लोगों को इस बात का भी शक था की वो नमाज पढ़ते हैं या नहीं, या फिर उन्हें नमाज पढ़नी आती भी है या नही। इस तरह की चीजें इतनी ज्यादा थी की

जब भुट्टो को फांसी पर लटका दिया गया, तो एक खुफिया एजेंसी ने एक फोटोग्रफर को भुट्टो की लिंग की तस्वीर खींचकर लाने को भेजा, प्रशासन इस बात की पुष्टि करना चाहता था कि भुट्टो का इस्लामिक रिवाज से खतना हुआ भी है या नहीं. फोटो देखने के बाद इस बात की पुष्टि हुई कि एक ‘सच्चे मुसलमान’ की तरह भुट्टो का भी खतना हुआ था.

 

यहां बातें टीना मुनीम की हो रही है जो किसी जमाने में संजय दत्त के लिए बेवफा साबित हुई थी, 1991 में जब टीना 31 वर्ष की थीं तब उन्होंने अनिल अंबानी से विवाह किया, विवाह के बाद टीना मुनीम, टीना अंबानी कहलाने लगीं। इसकी भी एक अलग कहानी है। टीना के फ़िल्मी जीवन में बेशक उनके सम्बन्ध कई अभिनेताओं से जोड़े गए,ख़ास तौर पर राजेश खन्ना के साथ। जिनके साथ ये काफी दिनों तक रिलेशनशिप में रहीं, चुकी राजेश खन्ना पहले से विवाहित थे और अपनी पत्नी को छोड़ना नहीं चाहते थे इस वजह से नाराज़ होकर टीना इन्हें छोड़कर विदेश चली गई। उससे पहले 1981 में फिल्म 'रॉकी' में संजय और टीना मुनीम साथ में काम कर रहे थे इसी दौरान दोनों में नजदीकियां बढ़ीं और दोनों एक दूसरे पर मर मिटने लगे। हर तरफ दोनों के रोमांस के चर्चे थे, लेकिन संजय की नशे और ड्रग की लत इनके रिश्ते में दीवार बन रही थी।टीना मुनीम संजय दत्त के ड्रग्स लेने की लत से काफी नाराज रहती थीं। दिन-ब-दिन संजय नशे की गिरफ्त में घिरते जा रहे थे। यही वजह थी जिसने टीना मुनीम को संजय से दूर जाने के लिए मजबूर कर दिया। इतना सब कुछ होने के बाद भी संजय टीना का पीछा नहीं छोड़ रहे थे जिस से बचने के लिए उन्होंने एक रास्ता निकाला। उस वक्त ऋषि कपूर काफी फेमस थे और और संयोग से उनके साथ फिल्म भी कर रहे थे जिसका फायदा उठाकर टीना मुनीम ने उनसे प्यार होने का नाटक किया और उनके साथ ज्यादा वक्त बिताने लगी ताकि संजय यह सब देख कर उनसे रिश्ता तोड़ ले। पर हुआ इसका बिल्कुल उल्टा संजय सीधे ऋषि कपूर के घर उनसे मारपीट करने पहुंच गए।

 उनका असली नाम महजबीन बानो था । प्रोड्यूसर विजय भट्ट ने जब अपनी फिल्म ‘लेदरफेस’ (1939) में उन्हें बाल भूमिका में लिया तो उन्हे ये नाम ठीक नहीं लगा, काफी सोचने के बाद उन्होने बेबी मीना नाम रख दिया ।फिर बड़ी होकर यही बेबी मीना यानि महजबीन बानो मीना कुमारी कहलाईं । 01 अगस्त 1932 को जन्मी इस अभिनेत्री ने अपना 32 साल हिन्दी सिनेमा के लिए समर्पित कर दिया।

बात 1949 की है जब पहली बार मीना कुमारी कमाल अमरोही से मिलीं , उस बक्त अमरोही की शादी हो चुकी थी और उनकी "महल" नामक फिल्म हिट हो चुकी थी। वे मीना कुमारी को लेकर "अनारकली" बनाना चाहते थे । जिस वजह से अक्सर वे मीना कुमारी से मिलने उनके घर आने लगे, बातों मुलाकातों का ये सफर यू ही चलता रहा । इसी दौरान एक बार "पूना" से लौटते वक्त मीना कुमारी की कार का का एक्सीडेंट हो गया और उन्हे अस्पताल जाना पड़ा । अमरोही साहब को जब ये पता चला तो वे मीना कुमारी से मिलने अस्पताल पहुंचे, वहाँ पहुँचने पर मीना की छोटी बहन ने बताया की मीना जूस नहीं पी रहीं। कमाल साहब ने जूस का गिलास खुद ले लिया और मीना के पास जा पहुंचे , उन्हे सहारा देकर उठाया और जूस का गिलास उनके होंठो की तरफ बढ़ाया , मीना बिना कुछ पुछे या बोले चुपचाप सारा जूस गटक गईं । अब कमाल साहब हर सप्ताह उनसे मिलने आने अस्पताल आने लगे । जल्द ही दोनों को लगने लगा की सप्ताह भर की दूरी कुछ ज्यादा हो रही है, अब वे सप्ताह में दो तीन बार मिलने लगे। और जिस दिन ये नहीं मिलते ,एक दूसरे को चिट्ठियाँ लिखते और उन चिठ्ठियों को खुद ही एक दूसरे को देते । कमाल साहब मीना को अंजु नाम से बुलाते और मीना उन्हे चन्दन नाम से पुकारतीं । फिर ऐसा दौर भी आया जब उन्हे बिना एक दूसरे से बात किए बक्त काटना मुश्किल लगने लगा । अब वे टेलीफोन पर देर- देर तक बातें करने लगे। हर रात मीना को अमरोही साहब के फोन का इंतजार रहता, अमरोही ठीक साढ़े ग्यारह बजे रात को फोन करते और सुबह साढ़े पाँच बजे तक इनकी बातें होती रहतीं । रात में इतनी देर जगकर बात करते करते ही मीना को नींद न आने की बीमारी हो गयी । 24 मई 1952 को दोनों ने विवाह कर लिया।


 अनूप जलोटा और जसलीन ही ऐसे सेलिब्रेटी नहीं है जिन्होंने अपने प्यार की कई मिसाले दी हैं। लंबे समय तक रिलेशनशिप में रहने के बाद ज्यादातर ने शादी भी की।आइए जानते हैं कुछ चर्चित सेलेब्स के बारे में जिन्होंने रिलेशनशिप या शादी के लिए लाँघि है उम्र की लंबी दीवार.

दिलीप कुमार और सायरा बानो

दिलीप कुमार ने सायरा बानो से 1966 में शादी की, उस वक्त दिलीप कुमार 44 वर्ष के थे और सायरा 22 वर्ष की थी.

राजेश खन्ना डिंपल कपाड़िया

राजेश खन्ना जिस वक्त स्टार थे, उनके फैन फॉलोइंग में लड़कियों की संख्या सबसे ज्यादा थी, हालांकि उन्होंने 33 वर्ष की अवस्था में 16 वर्ष की डिंपल से शादी रचा ली।

कबीर बेदी परवीन दोसांझ

कबीर बेदी ने जब परवीन से 2005 में शादी की उस वक्त परवीन उनसे 33 वर्ष छोटी थी।

संजय दत्त और मान्यता

मान्यता दत्त संजय की तीसरी पत्नी है और उनकी उम्र संजय दत्त से 19 साल छोटी है।

मिलिंद सोमन अंकिता

काफी वक्त से रिलेशन में रहने के बाद मिलिंद ने अंकिता से आखिरकार शादी कर ही ली अंकिता उनसे उम्र में 25 वर्ष छोटी है।


 

बात 1960 की है , जब लता मंगेशकर लोकप्रिय हो चुकी थीं और अपने गानों के लिए रॉयल्टी लेना शुरू कर दिया था , लेकिन वो चाहती थीं की अन्य सभी गायक-गायिकाओं को भी रॉयल्टी मिले। इसके लिए उन्होने पहल करना शुरू कर दिया, और गायक मुकेश एवं तलत महमूद के सहयोग से एक “ संघ” बनाकर उस बक्त के टॉप रिकॉर्डिंग कंपनी एचएमवी और फिल्म निर्माताओं से इसकी मांग रख दी ।

हालांकि इनकी मांग पर जब कोई शुरुआती सुनवाई नहीं हुई तो इन्होने रिकॉर्डिंग कंपनियों और निर्माताओं के लिए गाना ही छोड़ दिया । रिकॉर्डिंग कंपनियों और निर्माताओं का ये कहना था की जब गायकों को गाने के लिए पैसा मिलता ही है तो रॉयल्टी किस बात की ।रफी साहब को रिकॉर्डिंग कंपनियों और निर्माताओं की ये बात अच्छी लगी और उन्होने बिना रॉयल्टी की मांग किए गाना जारी रखा ।

रफी के इस रवैये से रॉयल्टी की मांग करने वाला संघ असरहीन होने लगा । तब संघ के सभी गायकों ने इस मुद्दे पर बात करने के लिए रफी साहब से संपर्क किया । रफी पर रिकॉर्डिंग कंपनियों और निर्माताओं की बातों का ऐसा असर हुआ था की वे रॉयल्टी का नाम सुनते ही भड़क गए और गुस्से मे लता की तरफ देखते हुये बोले- अगर समझाना है तो इस महारानी को समझाओ मुझे नहीं । तब लता भी गुस्से मे आकर बोलीं – आपने ठीक समझा मै महारानी ही हूँ। बात बढ़ने लगी रफी इसबर खीझते हुये बोले- अब से मैं तुम्हारे साथ गाने ही नहीं गाऊँगा। तब लता भी खुद को नहीं रोक सकीं और आँखें लाल करते हुये बोलीं- आप क्यों तकलीफ करते हैं –मैं ही आपके साथ कभी नहीं गाऊँगी।

इस घटना के बाद लता ने सभी संगीतकारों को फोन कर कर के बोलना शुरू किया की आइंदा किसी भी गाने के लिए जिद नहीं करें जो रफी साहब के साथ हो । ये सिलसिला लगभग चार सालों तक चला, हालांकि बाद के दिनों मे सब कुछ ठीक हो गया । अब गायकों को रॉयल्टी भी मिलने लगी थी ।

 

फिल्म जंजीर से पहले अमिताभ की एक दर्जन फिल्में फ्लॉप हो गई थी, और ये फिल्म उन्हे धर्मेंद्र ,दिलीप कुमार, राजकुमार और देवानंद के मना करने के बाद ऑफर हुई थी, ये वो वक्त जब कोई भी हीरोइन उनके साथ फिल्में नहीं करना चाहती थी। हालांकि फिल्म गुड्डी के सेट पर जया को देखते ही अमिताभ उन्हे चाहने लगे थे, ये अलग बात है कि जया को अमिताभ का उन्हे चोरी चोरी देखना पसंद नहीं था, उस समय जया काफी फेमस हो गई थीं। बाद में अमिताभ को इस फिल्‍म गुड्डी से निकाल दिया गया।इस घटना के बाद अमिताभ के लिए जया के मन में एक तरह का प्रेम या सहानुभूति जगी थी। यहीं जान पहचान बाद में दोस्‍ती में बदली गई।

जंजीर फिल्म के लिए जब कई सारी हीरोइनों के मना करने के बाद जया बच्चन को ये ऑफर मिला तो उन्होंने इस फिल्म के लिए तुरंत हां कर दी और आपस में ये वादा किया कि अगर ‘जंजीर’ हिट हुई तो सभी दोस्त लंदन जाएंगे, फिल्म सुपरहिट हुई और दोनों का प्यार भी परवान चढ़ गया। माता-पिता को बताया कि दोस्तों का एक ग्रुप इंग्लैंड जा रहा है.. बाबूजी ने पूछा कौन-कौन? जया और तुम अकेले जा रहे हो? अगर तुम्हें जाना है तो शादी कर के जाओ...’ अमिताभ अपने पिता जी बात कैसे काटते, आनन -फानन में तुरंत परिवार और पंडित को बुलाया गया क्योंकि दोनों की लंदन की फ्लाइट उसी डेट की बुक थी, अतः सात फेरे भी फटाफट उससे पहले लेने थे। अमिताभ की शादी बेहद सादगी भरी हुई। बारात में उनके पिता हरिवंशराय बच्‍चन सहित केवल पांच लोग जिसमें फिल्म इंडस्ट्री से सिर्फ गुलजार आए थे। दुल्‍हन की ओर से माता-पिता और बहनों के अलावा, अभिनेता असरानी और फरीदा जलाल उपस्थित थे। शादी के बाद एक भव्य कार्यक्रम में पूरी फिल्म इंडस्ट्री को आमंत्रित किया गया।

 

नोरा फतेही एक मोरोक्कन कैनेडियन नर्तकी अभिनेत्री और मॉडल हैं

नरगिस फाखरी एक अमेरिकी-पाकिस्तानी फैशन मॉडल व अभिनेत्री है।

कैटरीना कैफ़ एक ब्रितानी भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं,

सन्नी लियोन एक भारतीय-कैनेडियन फिल्म अभिनेत्री, व्यापार-जगत से जुड़ी महिला और मॉडल है

जैकलीन फर्नांडीस श्रीलंकाई मूल की, भारतीय अभिनेत्री व मॉडल है जो हिन्दी फ़िल्मों में कार्यरत है। वे २००६ की मिस श्रीलंका यूनिवर्स रह चुकी है।

एवलिन लक्ष्मी शर्मा एक भारतीय-जर्मन फिल्म अभिनेत्री हैं

किम्बर्ली नोएल "किम" कार्दशियन एक अमेरिकी "नामी घराने की महिला", प्रभावयुक्त व्यक्ति, मॉडल, अभिनेत्री, व्यवसायी, और जानीमानी टेलिविज़न शख्सियत हैं

एमी लुईस जैक्सन एक अंग्रेज़ मॉडल व फ़िल्म अभिनेत्री है

सपना पब्बी एक ब्रिटिश अभिनेत्री और मॉडल हैं, जिन्हें भारतीय टेलीविजन में किरण राठौड़ के रूप में काम करने के लिए जाना जाता है

दीपिका पादुकोण का जन्म 5 जनवरी 1986 कोपेनहैगन, डेनमार्क में हुआ और जो बॉलीवुड सिनेमा में एक नायिका के रूप में उभरी हैं।

आलिया भट्ट एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं। इनके पास ब्रिटेन की नागरिकता है

कल्की कोचलिन फ्रांसीसी वंश की भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री है जिन्होंने अनुराग कश्यप की 2009 हिन्दी फ़िल्म देव-डी से अपने फ़िल्मी करियर को आरम्भ किया

 

ये वही बंगला है, जिसे राजेश खन्ना ने अपनी फिल्म " हाथी मेरे साथी" के सफल होने के बाद खरीदा था और उनका मानना था कि यह बंगला उनके लिए एक आशीर्वाद से कम नहीं है , इसी वजह से उन्होंने इसका नाम भी आशीर्वाद रख लिया।

अपने जमाने के सबसे सफल अभिनेता राजेंद्र कुमार ने यह बंगला 1970-71 में उन्हें मात्र साढे़ तीन लाख रुपये में बेचा दिया था. जो उस बंगले के लिए बेहद छोटी रकम थी। दरअसल यह बंगला राजेंद्र कुमार के लिए जरा भी भाग्यशाली नहीं रहा और उनकी एक के बाद एक फिल्में लगातार पिटती चली गईं , अंत में निराश होकर उन्होंने इसे बेचने का मन बना लिया और अपने लिए पाली हिल्स में एक नया बंगला बनवा लिया । राजेंद्र कुमार ने इस बंगले का नाम अपने बेटी के नाम पर डिंपल रखा था।

दूसरी तरफ राजेश खन्ना को ऐसे घर की तलाश थी जहां से उन्हें समुद्र आराम से दिख सके और वे घर से ही समुद्र को निहार सकें। राजेंद्र कुमार का यह बंगला इन सभी शर्तों को पूरा करता था, जब राजेश खन्ना को यह पता चला कि राजेंद्र कुमार अपना यह बंगला बेचने वाले हैं तो तुरंत ही उस बंगले को लेने के लिए तैयार हो गए। राजेश खन्ना के लिए यहीं बंगला बेहद लकी साबित हुआ। इस बंगले में रहते-रहते उनकी एक के बाद एक 15 फिल्में हिट हुईं.


 

हरिभाई उर्फ संजीव कुमार, अपनी मोहक मुस्कान से अक्सर लड़कियों को लुभा लेते थे. उनकी आंखों में भी ग़ज़ब का आकर्षण था. बेहद कम बोलने वाले हरिभाई का सेंस ऑफ ह्यूमर इतना कमाल का था कि कई सारी अभिनेत्रियों के साथ उनकी गहरी मित्रता थी। पर प्यार और शादी के मामले में अपनी जिंदगी को लेकर हमेशा चिंतित रहने वाले संजीव कुमार ताउम्र शादी करने से बचते रहे। उनके साथ समस्या ये थी कि जब कभी कोई औरत उनकी तरफ आकर्षित हो जाती या उनका अफेयर शुरू होता तो उन्हें शक़ होने लगता कि कहीं ये उनकी दौलत और नाम के पीछे तो नहीं है. साथ ही
संजीव कुमार के दिल में यह बात घर कर गई थी कि वह 50 वर्ष से अधिक नहीं जी पाएंगे, क्योंकि उनके परिवार में ज़्यादातर पुरुष सदस्यों की मौत युवावस्था में ही हो गई थी. फलस्वरूप किसी से शादी करके उसे इस दुनिया में अकेला छोड़ना नाइंसाफी समझते थे। इसी वजह से हेमा मालिनी को बेहद पसंद करने के बावजूद उनसे शादी नहीं की तो दूसरी तरफ सुलक्षणा पंडित के साथ भी शादी करने की हिम्मत कभी नहीं जुटा पाए।

संजीव कुमार मुंबई में अपना एक बंगला खरीदना चाहते थे. जब भी वो फ्लैट खरीदने का सोचते उनके पास कुछ पैसे कम पड़ जाते. और तब तक बंगले के भाव बढ़ जाते, यह सिलसिला कई सालों तक चला। आखिरकार उन्होंने जुहू में एक प्रॉपर्टी खरीदी. लेकिन उसका सुख नहीं भोग पाए. वहां शिफ्ट होने से पहले ही उनकी 6 नवंबर 1985 को 47 साल की उम्र में मृत्यु हो गई.

 

परवीन बॉबी का कई विवाहित पुरुषो से संबंध रहे। जिनमें निर्देशक महेश भट्ट, अभिनेता कबीर बेदी और डैनी डेनजोगपा प्रमुख रहे। हालांकि सालों साल रिलेशनशिप में रहने के बावजूद परवीन ने कभी इन तीनों से शादी नहीं की। परवीन उस दौर में अपने कैरियर के चरम पर थी जब वह महेश भट्ट के बेहद करीब आ गई थी, दोनों के इश्क का ये आलम था की दोनों का प्यार जब परवान चढ़ा तो शादीशुदा महेश भट्ट ने पत्नी को छोड़कर बॉबी के साथ रिलेशनशिप में रहना बेहतर समझा। बाद के दिनों में परवीन को डर और वहम की बीमारी लग गई। डॉक्टरों को दिखाने के कुछ दिन बाद पता चला कि उन्हें सिजोफ्रेनिया नाम की मानसिक बीमारी है । अब डॉक्टरों के पास उन्हें इलेक्ट्रिक शॉक देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। लेकिन महेश शॉक के बिल्कुल विरोध में थे। जबकि बॉबी के दिल में ये बात घर कर गई थी कि महेश ने उनका सिर्फ इस्तेमाल किया है। अपने फायदे के लिए परवीन के स्टारडम और रुतबे का इस्तेमाल किया है और अब वे उन्हें ठीक नहीं होने देना चाहते। एक रात जब महेश और परवीन बेडरूम में थे, थोड़ी नोंक झोंक के बाद परवीन ने महेश से पूछ ही लिया कि वो उनमें और उनके डॉक्टर में से किसी एक को चुन लें। ‘परवीन की ये हालत देखकर महेश समझ गए कि उनके रिश्ते का अंत आ गया है।' महेश आधी रात में ही परवीन के घर से निकल गए। परवीन ने उन्हें रोकना चाहा, और अपने कपड़ों की फ़िक्र किए ही वो सड़क पर दौड़ती रहीं, लेकिन महेश नहीं रुके। अब महेश उनके घर और जिंदगी दिनों से जा चुके थे। महेश भट्ट ने बाद में परवीन और खुद के रिश्ते पर आधारित एक आत्मकथा जैसी फिल्म "अर्थ" (1982) बनाई, जिसके लेखक और निर्देशक वे स्वयं थे।कुछ इसी तरह की एक अन्य फिल्म उन्होंने 2006 में " लम्हे " भी बनाई थी।

 

पंजाबी सिनेमा का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार पाने वाले महाभारत के इंद्र और पंजाब के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले सुपरस्टार सतीश कौल जिन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया को आज वृद्धा आश्रम से मदद की दरकार है, साथ ही उन्होंने एक एक्टर ना सही इंसानियत के नाते लोगों से आगे आकर उनकी सहायता करने की अपील की है। जो एक जमाने में करोड़ों की संपत्ति के मालिक हुआ करते थे।

साल 2011 में जब उनके पास ढेरों ऑफर थे उस वक्त वे मुंबई छोड़कर लुधियाना- पंजाब शिफ्ट हो गए और अपनी सारी कमाई एक्टिंग स्कूल खोलने में लगा दी। दुर्भाग्य से एक्टिंग स्कूल नहीं चल पाया और उनके सारे पैसे डूब गए। इसके बाद उनके पास खुद का जीवन बिताने के लिए एक पैसा तक नहीं बचा। उनके ऊपर ढेर सारे कर्ज भी हो गए, बदतर हालात ने इनके घर को भी नहीं छोड़ा। अंत में उनका बेटा और पत्नी उन्हें छोड़कर अमेरिका शिफ्ट हो गए। इसी बीच गिरने से इनके कूल्हे की हड्डी भी फ्रैक्चर हो गई। अब ये बिल्कुल अकेले हो गए हैं और उनकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं। यहां तक कि इनके पास दवाओं, खाने-पीने के सामान आदि के लिए भी पैसे नहीं है।

सतीश कौल ने देवानंद, दिलीप कुमार और शाहरुख खान के साथ भी काम किया है, और इनकी इच्छा आगे भी काम करने की है।

 आज चर्चा उन फ्लॉप अभिनेता की जो फिल्मों मे तो सफल नहीं हो पाये पर बिजनेस में काफी सफल हुये :-

अर्जुन रामपाल - इन्होने करियर की शुरुआत मॉडलिंग से की थी , पर सोलो हेरो के रूप मे अपनी पहचान बनाने मे असफल रहे । फिर इन्होने इवेंट मैनेजमेंट कंपनी "चेसिंग गनेशा " और "बार " व्यवसाय में सफलता के झंडे गाड़े ।

डीनो मोरिया- एक्टिंग मे फ्लॉप होने के बाद डीनो मोरिया फिल्म निर्माता बन गए और अपनी प्रॉडक्शन कंपनी - "क्लोकवर्क फिल्म्स" के अलावे रेस्टोरेन्ट और फिटनेस कंपनी भी चलाते हैं ।

उदय चोपड़ा - यश चोपड़ा के बेटे उदय भी एक्टिंग में फ्लॉप होने के बाद हॉलीवुड चले गए और प्रोड्यूसर बन गए । एक ऐसा वक्त भी था जब असफलता से घबराकर ख़ुदकुशी करना चाहते थे । बाद में फिल्मों के अलावे टीवी सीरीज के निर्माण व्यवसाय को अपना लिया ।

एक नजरवे अभिनेता /अभिनेत्री जो फ्लॉप होने के वावजूद गुमनामी के अंधेरे में न खोकर बिजनेस की दुनिया में उजियारा कर रहे हैं ।

ट्विंकल खन्ना ( लेखन और इंटीरियर डेकोरेशन)

चंकी पांडे ( द अल्बोरूम रेंस्तरा)

पेरिजाद जोराबियन (गोंडोला रेंस्त्रा )

आयसा टाकिया ( बिस्त्रो कैफे )

नीलम ( नीलम ज्वेलर्स )

लारा दत्ता ( भीगी बसंती प्रॉडक्शन )

किम शर्मा ( ब्राइडल ग्रूमिंग सर्विस )

मन्दाकिनी ( तिब्बत योगा क्लास )

रोनित रॉय ( सिक्योरिटी सर्विस )

कुमार गौरव ( ट्रैवल एजेंसी )

आयसा जुल्का ( अनंता स्पा )

 यूं तो सभी अभिनेता -अभिनेत्रियों की फिल्में कभी हिट तो कभी फ्लॉप रहीं. पर यहां बातें उन दिग्गज अभिनेताओं की हो रही है जिन्होंने अपने फिल्मी कैरियर में फ्लॉप फिल्मों की ढेर लगा दी।

आमिर खान ने अब तक 55 से अधिक फिल्मों में काम किया है, जिनमें से 25 से अधिक फिल्में फ्लॉप रही है।

शाहरुख खान- 100 से अधिक फिल्मों काम कर चुके शाहरुख खान की 40 फिल्में फ्लॉप रही है।

अजय देवगन ने अब तक 120 फिल्मों के अंदर काम किया है, जिनमें 65 फिल्में फ्लॉप रही है।

अक्षय कुमार भी इस मामले में पीछे नहीं हैं 140 फिल्मों में काम कर चुके अक्षय कुमार की 70 से अधिक फिल्में फ्लॉप रही है।

सलमान खान ने तक 120 फिल्मों में काम किया है जिनमें 70 फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही है।

गोविंदा के फिल्मी करियर में 135 फिल्में है, लेकिन इनकी फ्लॉप फिल्मों की बात करें तो गोविंदा ने बॉलीवुड को 80 फिल्में फ्लॉप दी है।

अब बात उस सुपरस्टार की जिन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1976 में आई फिल्म 'मृगया' से की। जिसके लिए जिन्हे बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था। साथ ही फिल्म - अग्निपथ, बंगाली फिल्म तहादर कथा और स्वामी विवेकानंद के लिए जिन्हे नेशनल अवॉर्ड भी मिला है।
जो अबतक 350 से भी अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं, जिनके लिए-1993 से लेकर 1998 के वे 5 साल सबसे बुरे दिन रहे जब उनकी एक के बाद एक फिल्में लगातार फ्लॉप होती रहीं। इस दौरान उनकी एक साथ 33 फिल्में फ्लॉप हुईं थी। अब तो आपको पता चल ही गया होगा कि ये सुपरस्टार कोई और नहीं डिस्को डांसर मिथुन चक्रवर्ती हैं।

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