शनिवार, 7 नवंबर 2020


पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को रावलपिंडी की जेल में फौजी हुकूमत ने फांसी के फंदे पर लटका दिया था। जुल्फ़ीकार अली भुट्टो को मौत के बाद भी अपमान से गुज़रना पड़ा था, दरअसल भुट्टो पर सच्चा मुसलमान नहीं होने का इल्जाम था। एक और चीज थी, जो भुट्टो के खिलाफ थी ,भुट्टो शहरी परिवेश मे मुंबई में पले-बढ़े. फिर अमेरिका चले गए. वहीं से कॉलेज की पढ़ाई हुई. इस वजह से उर्दू भी कमजोर थी और अँग्रेजी इनकी मुख्य भाषा बन गयी थी । फिर उनकी मां शादी के पहले तक हिंदू रहीं . नाचना -गाना ही उनका मुख्य पेशा रहा ।इसलिए विरोधी यही कहते कि भुट्टो में इस्लामिक तहजीब नहीं है. और वे पक्के मुसलमान नहीं हैं. लोगों को इस बात का भी शक था की वो नमाज पढ़ते हैं या नहीं, या फिर उन्हें नमाज पढ़नी आती भी है या नही। इस तरह की चीजें इतनी ज्यादा थी की

जब भुट्टो को फांसी पर लटका दिया गया, तो एक खुफिया एजेंसी ने एक फोटोग्रफर को भुट्टो की लिंग की तस्वीर खींचकर लाने को भेजा, प्रशासन इस बात की पुष्टि करना चाहता था कि भुट्टो का इस्लामिक रिवाज से खतना हुआ भी है या नहीं. फोटो देखने के बाद इस बात की पुष्टि हुई कि एक ‘सच्चे मुसलमान’ की तरह भुट्टो का भी खतना हुआ था.

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