दिल्ली से बम्बई आने के बाद शुरुआती दिनों में गुलजार ने एक गैरेज में मैकेनिक के तौर पर काम किया और कई शायरों-साहित्यकारों-नाटककारों के संपर्क में आए । इन सबकी मदद से वे गीतकार शैलेन्द्र और संगीतकार सचिनदेव बर्मन तक पहुंचने में कामयाब रहे। उन दिनों सचिन दा फिल्म ‘बंदिनी’ के गीतों की धुन तैयार कर रहे थे। शैलेन्द्र की सलाह पर पर सचिन दा ने गुलज़ार को एक गीत लिखने की जिम्मेवारी दी। ये गुलजार के लिए एक ट्रायल जैसा था। गुलज़ार ने हफ्ते भर के भीतर ही गीत लिखकर दे दिया- ‘मोरा गोरा अंग लई ले, मोहे श्याम रंग दई दे।‘ सचिन दा को गीत बेहद पसंद आया। उन्होंने अपनी आवाज में इसे गाकर निर्माता-निर्देशक- बिमल राय को सुनाय और गीत ओके हो गया। गुलज़ार के इसी बांग्ला ज्ञान को समझते हुए बिमल राय उन्हें अपने होम प्रोडक्शन में रिजर्व गीतकार के तौर पर रखना चाहा, लेकिन गुलज़ार को केवल गीतकार होकर रह जाना मंजूर नहीं था।
तभी तो एक तरफ- 'एक मोड़ से आते हैं कुछ सुस्त कदम रस्ते', तो दूसरी तरफ़ 'कजरारे-कजरारे' और 'नाम गुम जाएगा चेहरा ये बदल जाएगा' तो दूसरी तरफ 'गोली मार भेजे में, ये भेजा शोर करता है'. जैसे गाने लिखने वाले गुलजार ने हर बार कुछ नवीन और विशिष्ट हिंदी - उर्दू शब्दों के जरिए अपना जादू बरकरार रखा। जिया जले, जाँ जले और बीड़ी जलइले जैसे गानों के मुरीद गीतकार जावेद अख्तर कहते हैं- गुलज़ार साहेब की ख़ूबी ये है कि पूछना नहीं पड़ता कि ये उनका गाना है. शब्दों से ही पता चल जाता है कि ये उन्हीं का लिखा गाना है।
एस डी बर्मन के बाद उनके बेटे आर डी बर्मन(पंचम दा) के लिए भी गुलजार का गीत लेखन जारी रहा। 60 से लेकर 90 के दशक तक आर डी बर्मन सक्रिय रहे. इस दौर के जितने भी गीतकार हुए लगभग सभी के साथ आर डी बर्मन ने काम किया लेकिन इनमें से गुलजार ऐसे गीतकार थे जिनके साथ पचंम दा को सबसे अधिक मजा आता था, क्योंकि इनके गाने पंचम दा के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण होते थे. एक बार गुलजार फिल्म 'इजाज़त' का गीत- "मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा हैं, सावन के कुछ भीगे भीगे दिन रखे हैं और मेरे एक ख़त में लिपटी रात पडी हैं ,वो रात बुझा दो, मेरा वो सामान लौटा दो… लिखकर पंचम दा के पास पहुंचे और कहा कि पंचम इस गीत की धुन बनाएं. पूरा गीत पढ़ने के बाद पंचम दा ने गुलजार की तरफ देखा और खीझते हुए कहा कि यह क्या बात हुई - ''कल को आप न्यूज पेपर की हेडिंग लेकर आ जाएंगे, और कहेंगे कि धुन बना दो " ऐसा नहीं होता है। हालांकि बाद में आरडी बर्मन ने इस गीत की धुन बनाई और इस गीत के लिए आशा भोंसले को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला. आर डी बर्मन और गुलजार निजी जीवन में गहरे मित्र रहे।
कुछ गुलजार रस के गाने :-
#सावन के कुछ भीगे-भीगे दिन रखे हैं और मेरे एक ख़त में लिपटी रात पड़ी है (फिल्म- इजाजत )
#नीली नदी के परे, गीला सा चांद खिल गया (फिल्म- लिबास )
#टूटी हुई चूड़ियों से जोडूं ये कलाई मैं यारा सिली सिली..(फिल्म -लेकिन )
#जनम से बंजारा हूं बंधु जनम-जनम बंजारा / कहीं कोई घर न घात न अंगनारा– (राहगीर)
#गोली मार भेजे में / भेजा शोर करता है’ (सत्या)
#छोटे-छोटे शहरों से / खाली बोर दोपहरों से / हम तो झोला उठा के चले(बंटी और बबली)
#जीने की वजह तो कोई नहीं / मरने का बहाना ढूंढ़ता है / एक अकेला इस शहर में – घरौंदा
#गंगा आए कहां से, गंगा जाए कहां रे / लहराए पानी में जैसे, धूप-छांव रे (काबुलीवाला)
#भेज कहार पियाजी बुला लो / कोई रात-रात जागे / डोली पड़ी-पड़ी ड्योढ़ी में / अर्थी जैसी लागे (माचिस)
#केसरिया बालमा मोहे बावरी बोलें लोग / प्रीत को देखें नगरी वाले पीड़ न देखें लोग / बावरी बोलें लोग (लेकिन)
#जब भी थामा है तेरा हाथ तो देखा है / लोग कहते हैं कि बस हाथ की रेखा है
#हमने देखा है दो तकरीरों को जुड़ते हुए / आजकल पांव जमीं पर नहीं पड़ते मेरे - (घर)
#होंठ पर लिए हुए दिल की बात हम / जागते रहेंगे और कितनी रात हम
#मुख्तसर सी बात है तुमसे प्यार है / तुम्हारा इंतजार है –( ख़ामोशी)
#फिर से अइयो बदरा बिदेसी / तेरे पंखों पे मोती जडूंगी
भर के जाइयो हमारी तलैया / मैं तलैया के किनारे मिलूंगी - (नमकीन)
#आनेवाला पल जानेवाला है / हो सके तो इसमें /जिंदगी बिता दो / पल जो यह जाने वाला है – (गोलमाल)
#रोज अकेली आए / रोज अकेली जाए / चांद कटोरा लिए भिखारन रात (मेरे अपने)
# जिहाल-ए -मिस्कीन मकुन बा रंजिश,बहाल-ए -हिजरा बेचारा दिल है-
#मोरा गोरा अंग लई ले’मोहे श्याम रंग दई दे।‘ (बंदिनी)
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