शनिवार, 7 नवंबर 2020

 

एकबार गायक मुकेश साईं बाबा के दर्शन करने शिर्डी गए । दर्शन और पूजन के बाद उनकी इच्छा आस-पास के क्षेत्रों में घूमने की हुई । थोड़ी ही दूर खड़े एक रिक्शे वाले से उन्होने पूछा की क्या वह उन्हे आस-पास के प्रसिद्ध जगहों पर घूमा सकता है ? रिक्शा वाला फौरन तैयार होते हुये बोला, चलिये ! मुकेश रिक्शे पर बैठ गए । रिक्शा चालक मुकेश का बहुत बड़ा फैन था । हालांकि उसे ये नहीं पता था की उसके रिक्शे पर जो व्यक्ति बैठा है वो कालजयी गायक मुकेश हैं । आदतन उसने एक मुकेश का गाना" गाए जा गीत मिलन के, तू अपनी लगन के, सजन घर जाना है" गुनगुनाने लगा। उसे यूं गुनगुनाते हुए सुनकर मुकेश के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। मुस्कुराते हुए ही उन्होंने रिक्शेवाले से कहा- भाई यह किसके गाने गा रहे हो? रिक्शेवाले ने जवाब दिया- आपको मालूम नहीं ? यह मुकेश जी का गाया गाना है। मुकेश भी आनंद लेने के मूड में थे तो उन्होंने रिक्शेवाले को छेड़ते हुए कहा " नाम तो सुना है, पर इसकी आवाज में कोई दम नहीं, बहुत बेकार गाता है। सुनाने हैं तो किसी और के गाने सुनाओ। ऐसा सुनते ही रिक्शावाला नाराजगी से गुस्से में आकर बोला- आप मुकेश जी को नहीं जानते कोई बात नहीं लेकिन उनकी गायकी के बारे में बुरा बोलने का आपको कोई हक नहीं। रिक्शे को सड़क के किनारे लगा कर वहीं रुक गया। तब मुकेश ने उससे माफी मांगते हुए कहा माफ कर दो गलती हो गई, छोड़ो इस बात को, चलो मुझे घुमाने ले चलो। इस पर रिक्शेवाले ने कहा- नहीं मैं आपको नहीं घुमा सकता, आप उतर जाइए और कोई और रिक्शा कर लीजिए। अंततः मुकेश जी को अपना परिचय देना पड़ा और गाना गाकर स्वयं को मुकेश साबित करना पड़ा । तब तो रिक्शेवाले की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, दिन भर वह मुकेश जी को घुमाता रहा और मुकेश जी उसके रिक्शे पर बैठे-बैठे उसकी फरमाइश के सभी गाने सुनाते रहे। जाते जाते मुकेश जी ने उसे एक रिक्शा उपहार स्वरूप भी दिया।

60 से 70 दशक के शीर्ष गायक "मुकेश चंद माथुर" अभिनेता बनना चाहते थे.

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