शनिवार, 7 नवंबर 2020

 

हिन्दी सिनेमा जिन्हे उनकी बेहतरीन अभिनय की वजह से जानती है और जिन्हे संजू बाबा, डेडली दत्त और मुन्ना भाई के रूप में पहचानती है। जो 1993 में हुए मुंबई बम ब्लास्ट की वजह से खासे चर्चा में रहे हैं।

पिता पूरी तरह अनुशासन प्रिय थे जबकि उन्हीं के बेटे संजू बचपन से जवानी तक काफी शरारती रहे हैं। यहां बताना आवश्यक है कि अपनी हिट फिल्म 'रॉकी' (1981 ) के रिलीज होने के पहले से ही वे ड्रग्स जैसे नशे के गुलाम हो गए थे। आलम ये था कि बिना नशा किए उन्हे नींद तक नहीं आती थी ।एक बार तो वे ड्रग्स के नशे में दो दिनों तक सोते रहा गए थे। बाद में अमेरिका में दो साल इलाज चलने के पश्चात वे ड्रग्स के चंगुल से निकल पाए। ठीक उसी प्रकार एक वक्त में अत्याधिक शराब पीने से उनकी जान तक जाने वाली थी, आज वे सब कुछ छोड़ चुके हैं और लोगों को नशा मुक्ति के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

इसी क्रम में संजय दत्त ने बतलाया, मुझे सिगरेट पीने की ऐसी लत लगी थी कि बिना पिए न किसी से ठीक से मिल पाता ना बोल पाता था। आदत से मजबूर संजय घर पर भी छुप-छुपकर सिगरेट पीते थे, ये सब सुनील दत्त साहब को पता नहीं था। ऐसे ही एक बार छिपकर बाथरूम में सिगरेट पीने के क्रम में अचानक से पिता सुनील दत्त ने देख लिया और उन्हें उनके इस व्यवहार के लिए उनकी जूते से पिटाई की।

संजय दत्त ग़ैर-क़ानूनी ढंग से हथियार रखने के मामले में जेल की सज़ा काट चुके हैं. जेल से लौटे संजय दत्त को ख़ुशी है कि फ़िल्म जगत के लोगों ने बुरे वक्त में उनका साथ दिया. इसका श्रेय वो अपने दिवंगत पिता सुनील दत्त के भले कामों देते हैं.

 वैसे तो हिंदी फ़िल्म जगत की हस्तियों के निजी जीवन को गहराई से जानें तो उनमे बदलाव ही बदलाव पाएंगे भले हीं ये बदलाव संयोग से हुए हों या परिस्थितिवश, पर निजी जीवन में ये बदलाव फ़िल्मी जगत के शायद ही किसी शख्श को छोड़ा हो ! पर हाँ , इन बदलावों से उन्हें प्रसिद्धि जरूर मिली है ,और हमें मिली है उनकी कला ! इसी बदलाव की कड़ी में नाम परिवर्तन ने उन्हें अलग पहचान भी दिलाई है , एक बात गौर करने वाली है कि फिल्म जगत में 90 प्रतिशत ने अपना नाम बदला है। आइये कुछ फनकारों के असल नाम पर गौर करें

साभार- https://rajkumarjeevan.blogspot.com/2015/01/all-that-changed.html

चर्चित नाम ****************** बचपन के नाम

हेमन्त कुमार (हेमन्त मुख़र्जी - हेमन्त कुमार मुखोपाध्याय

अशोक कुमार(दादा मुनि ) - कुमुदलाल कुंजीलाल गांगुली

गुरु दत्त - वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण

किशोर कुमार - आभास कुमार गांगुली

दिलीप कुमार - मुहम्मद युसुफ़ खान

राजेंद्र कुमार - राजेंद्र कुमार तुली

मोतीलाल - मोतीलाल राजवंश

मनोज कुमार - हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी

संजीव कुमार - हरीहर जेठालाल जरीवाल

अमिताभ बच्चन - इंकलाब श्रीवास्तव

सुनील दत्त - बलराज दत्त

राजेश खन्ना - जतिन अरोरा

राजकुमार - कुलभूषण पंडित

कुमार गौरव - मनोज तुली

अक्षय कुमार - राजीव हरी ओम भाटिया

जितेन्द्र - रवि कपूर

सनी देओल - अजय सिंह देओल

बॉबी देओल - विजय सिंह देओल

जॉनी लीवर - जॉन प्रकाश राव जनुमाला

मिथुन चक्रवर्ती - गौरांग चक्रवर्ती

सलमान खान(सल्लू) - अब्दुल रशीद सलीम

आमिर खान - आमिर हुसैन खान

अजय देवगन - विशाल देवगन

गोविंदा - गोविन्द अरुण आहूजा

चंकी पाण्डेय - सुयश

इरफान खान - शाहबजादे इरफान अली खान

अमरीश पुरी - अमरीश लाल सिंह पूरी

डैनी डेन्जोंगपा - त्शेरिंग फिंत्सो डेंज़ोंग्पा

प्राण - प्राणकृष्ण सिकंद

शक्ति कपूर - सुनील कपूर

अलोक नाथ - अलोक नाथ झा

असरानी - गोवर्धन असरानी

रजिनीकांत - शिवजी रो गायकवाड़

नाना पाटेकर - विश्वनाथ नाना पाटेकर

रवि किशन - रवि किशन शुक्ल

कुमार सानु - केदारनाथ भट्टाचार्य

अभिजीत - अभिजीत भट्टाचार्य

उदित नारायण - उदित नारायण झा

शान - शांतनु मुखर्जी

के के - कृष्णकुमार कुन्नथ

लकी अली - मक़सूद महमूद अली

मधुबाला - मुमताज़ बेग़म जहाँ देहलवी'

नर्गिस - फातिमा राशिद

शर्मीला टैगोर - बेगम आयेशा सुल्ताना

नूतन - समर्थ बहल

मीना कुमारी - महजबीन बानो

श्री देवी - श्री अम्मा यंगर

मीनाक्षी ‍शेषाद्रि - शशिकला शेषाद्रि

मंदाकिनी - यास्मिन जोसेफ

रेखा - रेखा गणेसन

काजोल - काजोल मुख़र्जी

राखी सावंत - नीरू भेदा

महिमा चौधरी - ऋतु चौधरी

 एक अमीर घराने की लड़की और गरीब लड़के के बीच प्यार को जिस प्रकार फिल्मों में दिखलाया जाता है उसी तरह की कहानी है इन दोनों की ।

24 साल के अब्दुल करीम को 1887 में आगरा से ब्रिटेन (लंदन ) महारानी का सेवक (टेबल वेटर ) बनाकर भेजा गया था, इससे पहले अब्दुल करीम और उनके पिता आगरा जेल में काम करते थे जहां अब्दुल को एक साल के 60 रुपए मिलते थे । इस बीच जब महारानी के खासदारों आगरा जेल का दौरा किया तो महारानी को खुश करने के लिए उपहार स्वरूप दो नौकरों को उनके साथ भेजा गया जिनमे एक अब्दुल करीम भी थे ।

लंबे कद और खूबसूरत व्यक्तित्व के धनी अब्दुल करीम के व्यवहार ने रानी को इतना प्रभावित किया की वो उनके करीब आती गईं. बाद में अब्दुल करीम के नाम के आगे मुंशी जुड़ गया. वह महारानी के भारत सचिव बन गए. जब रानी को अब्दुल से प्रेम हुआ उनकी उम्र 60 वर्ष थी. अलग-अलग भाषा सीखने की जुनूनी रानी ने इन्हे दरबार में शिक्षक का दर्जा दे भी दिला दिया और उन्हें निर्देश दिया गया कि वो महारानी को हिंदी और उर्दू सिखाएं.

महारानी अक्सर अपने दिल की बातें उन्हें खत में लिखती थीं.तो उसके अंत में ‘तुम्हारी प्रिय मां’ और ‘तुम्हारी सबसे करीबी दोस्त’ लिखती थीं। कभी-कभी तो महारानी अपने पत्रों में चुंबन के प्रतीक भी बनाती थी, जो उस समय में बेहद असाधारण बात थी. दोनों के बीच का रिश्ता काफ़ी भावुक था जिसका विभिन्न स्तर पर वर्णन किया जा सकता है.ये रिश्ता एक जवान भारतीय आदमी और एक 60 वर्षीय महिला के बीच का एक रिश्ता था, या फिर कहें कि ये एक मां और बेटे के बीच जैसा रिश्ता था।


 खामोश ...। शत्रुघ्न सिन्हा कोई पार्श्वगायक नहीं हैं, हाँ कुछ गानों में उनकी आवाज का इस्तेमाल जरूर किया गया है ,ठीक वैसे ही जैसे अमिताभ बच्चन, अजय देवगन या सुरेश ओबेरॉय आदि ने किया है । कुछ गानों की झलक यहाँ दी गयी हैं :-

*शबाबो हुस्न का शोला सा एक लहराया है... हाय ।हाय.. हाय मार डाला (अलीबाबा मरजीना)

*एक बात सुनी है चाचा जी .... तेरी चाची बुलडोजर आने वाली है ( नरम गरम )

*ऐसी वैसी ना समझ सजना ....... शेर- वो-संवाद (जानी दुश्मन ).(मुख्य गायिका आशा भोंशले )

 

सबसे पहले तो हम आपको ये बता दे कि जिस एक्टर की आवाज सुन कर ही लोग उनके दीवाने हो जाते थे, उसी एक्टर को गले का कैंसर हो गया था। गले के कैंसर के कारण राजकुमार जी की तबियत इतनी ज्यादा खराब रहने लगी कि उन्हें अपना मरना निश्चित लग रहा था। हालांकि अंत तक उन्होने अपनी बीमारी को छुपा कर रखा, शायद इसी वजह से जब उन्हे लगने लगा की अब वे जिंदा नहीं रह पाएंगे, तो उन्होने अपने बेटे से अपनी मौत की खबर मीडिया से छुपा कर रखने की बात कही थी ।

आरंभिक और बाद की फिल्मों में बोलने के अंदाज पर गौर करें तो यकीनन आपको फर्क महसूस होगा जब उन्हे कैंसर हो गया था। तेज या जल्दी जल्दी बोलने से इनकी तकलीफ अक्सर बढ़ जाया करती थी इसलिए डॉक्टर द्वारा इन्हे ज्यादा ज़ोर से नहीं बोलने की हिदायत थी, फलस्वरूप उन्होने इसपर अमल करना शुरू किया जिसका असर इनके डायलॉग में भी साफ साफ दिखता है। हालांकि यही मजबूरी इनकी सबसे बड़ी खूबी साबित हुई.

इनके डायलॉग कि कुछ बानगी यहां देखिए:

  1. जानी.. हम तुम्हे मारेंगे, और ज़रूर मारेंगे.. लेकिन.. ,वो बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वक़्त.. भी हमारा होगा.
  2. हम वो कलेक्टर नहीं जिनका फूंक मारकर तबादला किया जा सकता है. कलेक्टरी तो हम शौक़ से करते हैं, रोज़ी-रोटी के लिए नहीं. दिल्ली तक बात मशहूर है कि राजपाल चौहान के हाथ में तंबाकू का पाइप और जेब में इस्तीफा रहता है.
  3. शेर को सांप और बिच्छू काटा नहीं करते..
    दूर ही दूर से रेंगते हुए निकल जाते हैं.
  4. इस दुनिया में तुम पहले और आखिरी बदनसीब कमीने होगे, जिसकी ना तो अर्थी उठेगी और ना किसी कंधे का सहारा. सीधे चिता जलेगी.
  5. अपना तो उसूल है. पहले मुलाकात, फिर बात, और फिर अगर जरूरत पड़े तो लात.
  6. बोटियां नोचने वाला गीदड़, गला फाड़ने से शेर नहीं बन जाता.
  7. . ये बच्चों के खेलने की चीज़ नहीं,
    हाथ कट जाए तो ख़ून निकल आता है.
  8. ना तलवार की धार से, ना गोलियों की बौछार से.. बंदा डरता है तो सिर्फ परवर दिगार से.
  9. महा सिंह, शेर की खाल पहनकर आज तक कोई आदमी शेर नहीं बन सका.
    और बहुत ही जल्द हम तुम्हारी ये शेर की खाल उतरवा लेंगे
  10. हम आंखों से सुरमा नहीं चुराते, हम आंखें ही चुरा लेते हैं.


पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को रावलपिंडी की जेल में फौजी हुकूमत ने फांसी के फंदे पर लटका दिया था। जुल्फ़ीकार अली भुट्टो को मौत के बाद भी अपमान से गुज़रना पड़ा था, दरअसल भुट्टो पर सच्चा मुसलमान नहीं होने का इल्जाम था। एक और चीज थी, जो भुट्टो के खिलाफ थी ,भुट्टो शहरी परिवेश मे मुंबई में पले-बढ़े. फिर अमेरिका चले गए. वहीं से कॉलेज की पढ़ाई हुई. इस वजह से उर्दू भी कमजोर थी और अँग्रेजी इनकी मुख्य भाषा बन गयी थी । फिर उनकी मां शादी के पहले तक हिंदू रहीं . नाचना -गाना ही उनका मुख्य पेशा रहा ।इसलिए विरोधी यही कहते कि भुट्टो में इस्लामिक तहजीब नहीं है. और वे पक्के मुसलमान नहीं हैं. लोगों को इस बात का भी शक था की वो नमाज पढ़ते हैं या नहीं, या फिर उन्हें नमाज पढ़नी आती भी है या नही। इस तरह की चीजें इतनी ज्यादा थी की

जब भुट्टो को फांसी पर लटका दिया गया, तो एक खुफिया एजेंसी ने एक फोटोग्रफर को भुट्टो की लिंग की तस्वीर खींचकर लाने को भेजा, प्रशासन इस बात की पुष्टि करना चाहता था कि भुट्टो का इस्लामिक रिवाज से खतना हुआ भी है या नहीं. फोटो देखने के बाद इस बात की पुष्टि हुई कि एक ‘सच्चे मुसलमान’ की तरह भुट्टो का भी खतना हुआ था.

 

यहां बातें टीना मुनीम की हो रही है जो किसी जमाने में संजय दत्त के लिए बेवफा साबित हुई थी, 1991 में जब टीना 31 वर्ष की थीं तब उन्होंने अनिल अंबानी से विवाह किया, विवाह के बाद टीना मुनीम, टीना अंबानी कहलाने लगीं। इसकी भी एक अलग कहानी है। टीना के फ़िल्मी जीवन में बेशक उनके सम्बन्ध कई अभिनेताओं से जोड़े गए,ख़ास तौर पर राजेश खन्ना के साथ। जिनके साथ ये काफी दिनों तक रिलेशनशिप में रहीं, चुकी राजेश खन्ना पहले से विवाहित थे और अपनी पत्नी को छोड़ना नहीं चाहते थे इस वजह से नाराज़ होकर टीना इन्हें छोड़कर विदेश चली गई। उससे पहले 1981 में फिल्म 'रॉकी' में संजय और टीना मुनीम साथ में काम कर रहे थे इसी दौरान दोनों में नजदीकियां बढ़ीं और दोनों एक दूसरे पर मर मिटने लगे। हर तरफ दोनों के रोमांस के चर्चे थे, लेकिन संजय की नशे और ड्रग की लत इनके रिश्ते में दीवार बन रही थी।टीना मुनीम संजय दत्त के ड्रग्स लेने की लत से काफी नाराज रहती थीं। दिन-ब-दिन संजय नशे की गिरफ्त में घिरते जा रहे थे। यही वजह थी जिसने टीना मुनीम को संजय से दूर जाने के लिए मजबूर कर दिया। इतना सब कुछ होने के बाद भी संजय टीना का पीछा नहीं छोड़ रहे थे जिस से बचने के लिए उन्होंने एक रास्ता निकाला। उस वक्त ऋषि कपूर काफी फेमस थे और और संयोग से उनके साथ फिल्म भी कर रहे थे जिसका फायदा उठाकर टीना मुनीम ने उनसे प्यार होने का नाटक किया और उनके साथ ज्यादा वक्त बिताने लगी ताकि संजय यह सब देख कर उनसे रिश्ता तोड़ ले। पर हुआ इसका बिल्कुल उल्टा संजय सीधे ऋषि कपूर के घर उनसे मारपीट करने पहुंच गए।

 उनका असली नाम महजबीन बानो था । प्रोड्यूसर विजय भट्ट ने जब अपनी फिल्म ‘लेदरफेस’ (1939) में उन्हें बाल भूमिका में लिया तो उन्हे ये नाम ठीक नहीं लगा, काफी सोचने के बाद उन्होने बेबी मीना नाम रख दिया ।फिर बड़ी होकर यही बेबी मीना यानि महजबीन बानो मीना कुमारी कहलाईं । 01 अगस्त 1932 को जन्मी इस अभिनेत्री ने अपना 32 साल हिन्दी सिनेमा के लिए समर्पित कर दिया।

बात 1949 की है जब पहली बार मीना कुमारी कमाल अमरोही से मिलीं , उस बक्त अमरोही की शादी हो चुकी थी और उनकी "महल" नामक फिल्म हिट हो चुकी थी। वे मीना कुमारी को लेकर "अनारकली" बनाना चाहते थे । जिस वजह से अक्सर वे मीना कुमारी से मिलने उनके घर आने लगे, बातों मुलाकातों का ये सफर यू ही चलता रहा । इसी दौरान एक बार "पूना" से लौटते वक्त मीना कुमारी की कार का का एक्सीडेंट हो गया और उन्हे अस्पताल जाना पड़ा । अमरोही साहब को जब ये पता चला तो वे मीना कुमारी से मिलने अस्पताल पहुंचे, वहाँ पहुँचने पर मीना की छोटी बहन ने बताया की मीना जूस नहीं पी रहीं। कमाल साहब ने जूस का गिलास खुद ले लिया और मीना के पास जा पहुंचे , उन्हे सहारा देकर उठाया और जूस का गिलास उनके होंठो की तरफ बढ़ाया , मीना बिना कुछ पुछे या बोले चुपचाप सारा जूस गटक गईं । अब कमाल साहब हर सप्ताह उनसे मिलने आने अस्पताल आने लगे । जल्द ही दोनों को लगने लगा की सप्ताह भर की दूरी कुछ ज्यादा हो रही है, अब वे सप्ताह में दो तीन बार मिलने लगे। और जिस दिन ये नहीं मिलते ,एक दूसरे को चिट्ठियाँ लिखते और उन चिठ्ठियों को खुद ही एक दूसरे को देते । कमाल साहब मीना को अंजु नाम से बुलाते और मीना उन्हे चन्दन नाम से पुकारतीं । फिर ऐसा दौर भी आया जब उन्हे बिना एक दूसरे से बात किए बक्त काटना मुश्किल लगने लगा । अब वे टेलीफोन पर देर- देर तक बातें करने लगे। हर रात मीना को अमरोही साहब के फोन का इंतजार रहता, अमरोही ठीक साढ़े ग्यारह बजे रात को फोन करते और सुबह साढ़े पाँच बजे तक इनकी बातें होती रहतीं । रात में इतनी देर जगकर बात करते करते ही मीना को नींद न आने की बीमारी हो गयी । 24 मई 1952 को दोनों ने विवाह कर लिया।


 अनूप जलोटा और जसलीन ही ऐसे सेलिब्रेटी नहीं है जिन्होंने अपने प्यार की कई मिसाले दी हैं। लंबे समय तक रिलेशनशिप में रहने के बाद ज्यादातर ने शादी भी की।आइए जानते हैं कुछ चर्चित सेलेब्स के बारे में जिन्होंने रिलेशनशिप या शादी के लिए लाँघि है उम्र की लंबी दीवार.

दिलीप कुमार और सायरा बानो

दिलीप कुमार ने सायरा बानो से 1966 में शादी की, उस वक्त दिलीप कुमार 44 वर्ष के थे और सायरा 22 वर्ष की थी.

राजेश खन्ना डिंपल कपाड़िया

राजेश खन्ना जिस वक्त स्टार थे, उनके फैन फॉलोइंग में लड़कियों की संख्या सबसे ज्यादा थी, हालांकि उन्होंने 33 वर्ष की अवस्था में 16 वर्ष की डिंपल से शादी रचा ली।

कबीर बेदी परवीन दोसांझ

कबीर बेदी ने जब परवीन से 2005 में शादी की उस वक्त परवीन उनसे 33 वर्ष छोटी थी।

संजय दत्त और मान्यता

मान्यता दत्त संजय की तीसरी पत्नी है और उनकी उम्र संजय दत्त से 19 साल छोटी है।

मिलिंद सोमन अंकिता

काफी वक्त से रिलेशन में रहने के बाद मिलिंद ने अंकिता से आखिरकार शादी कर ही ली अंकिता उनसे उम्र में 25 वर्ष छोटी है।


 

बात 1960 की है , जब लता मंगेशकर लोकप्रिय हो चुकी थीं और अपने गानों के लिए रॉयल्टी लेना शुरू कर दिया था , लेकिन वो चाहती थीं की अन्य सभी गायक-गायिकाओं को भी रॉयल्टी मिले। इसके लिए उन्होने पहल करना शुरू कर दिया, और गायक मुकेश एवं तलत महमूद के सहयोग से एक “ संघ” बनाकर उस बक्त के टॉप रिकॉर्डिंग कंपनी एचएमवी और फिल्म निर्माताओं से इसकी मांग रख दी ।

हालांकि इनकी मांग पर जब कोई शुरुआती सुनवाई नहीं हुई तो इन्होने रिकॉर्डिंग कंपनियों और निर्माताओं के लिए गाना ही छोड़ दिया । रिकॉर्डिंग कंपनियों और निर्माताओं का ये कहना था की जब गायकों को गाने के लिए पैसा मिलता ही है तो रॉयल्टी किस बात की ।रफी साहब को रिकॉर्डिंग कंपनियों और निर्माताओं की ये बात अच्छी लगी और उन्होने बिना रॉयल्टी की मांग किए गाना जारी रखा ।

रफी के इस रवैये से रॉयल्टी की मांग करने वाला संघ असरहीन होने लगा । तब संघ के सभी गायकों ने इस मुद्दे पर बात करने के लिए रफी साहब से संपर्क किया । रफी पर रिकॉर्डिंग कंपनियों और निर्माताओं की बातों का ऐसा असर हुआ था की वे रॉयल्टी का नाम सुनते ही भड़क गए और गुस्से मे लता की तरफ देखते हुये बोले- अगर समझाना है तो इस महारानी को समझाओ मुझे नहीं । तब लता भी गुस्से मे आकर बोलीं – आपने ठीक समझा मै महारानी ही हूँ। बात बढ़ने लगी रफी इसबर खीझते हुये बोले- अब से मैं तुम्हारे साथ गाने ही नहीं गाऊँगा। तब लता भी खुद को नहीं रोक सकीं और आँखें लाल करते हुये बोलीं- आप क्यों तकलीफ करते हैं –मैं ही आपके साथ कभी नहीं गाऊँगी।

इस घटना के बाद लता ने सभी संगीतकारों को फोन कर कर के बोलना शुरू किया की आइंदा किसी भी गाने के लिए जिद नहीं करें जो रफी साहब के साथ हो । ये सिलसिला लगभग चार सालों तक चला, हालांकि बाद के दिनों मे सब कुछ ठीक हो गया । अब गायकों को रॉयल्टी भी मिलने लगी थी ।

 

फिल्म जंजीर से पहले अमिताभ की एक दर्जन फिल्में फ्लॉप हो गई थी, और ये फिल्म उन्हे धर्मेंद्र ,दिलीप कुमार, राजकुमार और देवानंद के मना करने के बाद ऑफर हुई थी, ये वो वक्त जब कोई भी हीरोइन उनके साथ फिल्में नहीं करना चाहती थी। हालांकि फिल्म गुड्डी के सेट पर जया को देखते ही अमिताभ उन्हे चाहने लगे थे, ये अलग बात है कि जया को अमिताभ का उन्हे चोरी चोरी देखना पसंद नहीं था, उस समय जया काफी फेमस हो गई थीं। बाद में अमिताभ को इस फिल्‍म गुड्डी से निकाल दिया गया।इस घटना के बाद अमिताभ के लिए जया के मन में एक तरह का प्रेम या सहानुभूति जगी थी। यहीं जान पहचान बाद में दोस्‍ती में बदली गई।

जंजीर फिल्म के लिए जब कई सारी हीरोइनों के मना करने के बाद जया बच्चन को ये ऑफर मिला तो उन्होंने इस फिल्म के लिए तुरंत हां कर दी और आपस में ये वादा किया कि अगर ‘जंजीर’ हिट हुई तो सभी दोस्त लंदन जाएंगे, फिल्म सुपरहिट हुई और दोनों का प्यार भी परवान चढ़ गया। माता-पिता को बताया कि दोस्तों का एक ग्रुप इंग्लैंड जा रहा है.. बाबूजी ने पूछा कौन-कौन? जया और तुम अकेले जा रहे हो? अगर तुम्हें जाना है तो शादी कर के जाओ...’ अमिताभ अपने पिता जी बात कैसे काटते, आनन -फानन में तुरंत परिवार और पंडित को बुलाया गया क्योंकि दोनों की लंदन की फ्लाइट उसी डेट की बुक थी, अतः सात फेरे भी फटाफट उससे पहले लेने थे। अमिताभ की शादी बेहद सादगी भरी हुई। बारात में उनके पिता हरिवंशराय बच्‍चन सहित केवल पांच लोग जिसमें फिल्म इंडस्ट्री से सिर्फ गुलजार आए थे। दुल्‍हन की ओर से माता-पिता और बहनों के अलावा, अभिनेता असरानी और फरीदा जलाल उपस्थित थे। शादी के बाद एक भव्य कार्यक्रम में पूरी फिल्म इंडस्ट्री को आमंत्रित किया गया।

 

नोरा फतेही एक मोरोक्कन कैनेडियन नर्तकी अभिनेत्री और मॉडल हैं

नरगिस फाखरी एक अमेरिकी-पाकिस्तानी फैशन मॉडल व अभिनेत्री है।

कैटरीना कैफ़ एक ब्रितानी भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं,

सन्नी लियोन एक भारतीय-कैनेडियन फिल्म अभिनेत्री, व्यापार-जगत से जुड़ी महिला और मॉडल है

जैकलीन फर्नांडीस श्रीलंकाई मूल की, भारतीय अभिनेत्री व मॉडल है जो हिन्दी फ़िल्मों में कार्यरत है। वे २००६ की मिस श्रीलंका यूनिवर्स रह चुकी है।

एवलिन लक्ष्मी शर्मा एक भारतीय-जर्मन फिल्म अभिनेत्री हैं

किम्बर्ली नोएल "किम" कार्दशियन एक अमेरिकी "नामी घराने की महिला", प्रभावयुक्त व्यक्ति, मॉडल, अभिनेत्री, व्यवसायी, और जानीमानी टेलिविज़न शख्सियत हैं

एमी लुईस जैक्सन एक अंग्रेज़ मॉडल व फ़िल्म अभिनेत्री है

सपना पब्बी एक ब्रिटिश अभिनेत्री और मॉडल हैं, जिन्हें भारतीय टेलीविजन में किरण राठौड़ के रूप में काम करने के लिए जाना जाता है

दीपिका पादुकोण का जन्म 5 जनवरी 1986 कोपेनहैगन, डेनमार्क में हुआ और जो बॉलीवुड सिनेमा में एक नायिका के रूप में उभरी हैं।

आलिया भट्ट एक भारतीय अभिनेत्री और मॉडल हैं। इनके पास ब्रिटेन की नागरिकता है

कल्की कोचलिन फ्रांसीसी वंश की भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री है जिन्होंने अनुराग कश्यप की 2009 हिन्दी फ़िल्म देव-डी से अपने फ़िल्मी करियर को आरम्भ किया

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